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टेल्को वर्कर्स यूनियन को बाय सिक्स विवाद में सुलह प्रक्रिया में शामिल करना अनिवार्य है : हर्षवर्धन सिंह

जमशेदपुर। टेल्को वर्कर्स यूनियन निबंधन संख्या 98 ने श्रमायुक्त झारखंड से चिट्ठी लिखकर खुद को बाय सिक्स विवाद पर चल रही सुनवाई प्रक्रिया में शामिल किए जाने की मांग किया है ।
चिट्ठी में उन्होंने लिखा है बिना टेल्को वर्कर्स यूनियन के शामिल किया अगर कोई समझौता होता है तो विवाद -न्यायिक रूप से ओपन ही रहेगा ।
क्रमानुसार तथ्यों को रखते हुए कानून के पहलुओं और पूर्व इस प्रकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए यूनियन ने अपनी बात को रखा है ।
विवाद की शुरुआत अवसर जावेद द्वारा डीएलसी के समक्ष अपनी मांग को रखने से होती है, जिसमें उन्होंने मांग किया था कि जब से उनकी 240 दिन की ड्यूटी हुआ है तब से उन्हें परमानेंट माना जाए और उसे दिन से पेमेंट के अंतर का बकाया राशि @18 %परसेंट ब्याज के साथ दिया जाए। डीएलसी द्वारा मांग पर कोई सुनवाई नहीं होने की स्थिति में उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाई ।
हाई कोर्ट ने उनसे पूछा आप अपने अलावा सभी 2800 बाय सिक्स कर्मियों के लिए मांग कर रहे हैं आप क्या किसी यूनियन के ऑफिस बियर है, जिस पर उन्होंने कोर्ट को बताया कि नहीं वे व्यक्तिगत हैसियत से मांग को रख रहे हैं ।
क्योंकि इस प्रकार की समस्या के लिए कानूनी व्यवस्था औद्योगिक विवाद अधिनियम के अंतर्गत है इसी कारण से ठीक उसी प्रकार के मामले में मुंबई हाई कोर्ट के फैसले को सीधे नहीं लागू कर, निहित कानून प्रक्रिया के तहत लागू करने के लिए उप श्रममायुक्त के पास मामलों को भेजा, और उन्हें निहित कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत निर्णय पारित करने का निर्देश दिया ।
इसके बाद अफसर जावेद ने डीएलसी के समक्ष लिखित प्रतिवेदन दिया जिस पर डीएलसी द्वारा टाटा मोटर्स के जवाब मांगा गया और फिर एक पत्र जारी कर प्रबंधन से बचे हुए बाय सिक्स कर्मियों को परमानेंट करने की योजना 3 महीने के अंदर बताने को कहा गया ।
चुकी व्यक्तिगत रूप से उठाया गया विवाद औद्योगिक विवाद नहीं होता है और टेल्को वर्कर्स यूनियन के मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसला इसी बीच आ जाने से इस यूनियन के पास इस विवाद को समर्थन करने का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो गया जिसके बाद तिल को यूनियन कर्मचारी द्वारा उठाए। इस विवाद को लिखित समर्थन दिया। इसके बाद यह वेैध औद्योगिक विवाद बन गया है । यह जानकारी हर्षवर्धन सिंह ने दी। बताया की
डीएलसी या एल सी को निर्धारित कानूनी प्रक्रिया के तहत ही कार्य करना है। इससे बाहर का हर एक कदम एक्स्ट्रा जुडिशल होगा कानून में उसको या तो दोनों पक्षों के सहमति पर समझौता करना है या किसी एक पक्ष द्वारा नहीं राजी होने की स्थिति में मामला को लेबर कोर्ट या ट्रिब्यूनल में भेज देना है ।इसके अतिरिक्त कुछ भी निर्णय उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का होगा जो मांग का हिस्सा नहीं है उसे पर किसी प्रकार का निर्देश गैर कानूनी होगा जो वास्तविक पक्षकार नहीं है। उनसे किसी प्रकार का बात करना गैरकानूनी होगा इस मामले में फर्जी यूनियन का कोई रोल ही नहीं है। उसे गैर कानूनी रूप से शामिल करना ही किसी गहरी साजिश की ओर इशारा कर रही है ।
इसलिए इस मामले में टेल्को वर्कर्स यूनियन और अफसर जावेद को शामिल किए बिना न्यायिक हल निकालना संभव नहीं है और फिर यह हाईकोर्ट में बहुत आसानी से खारिज हो जाएगा, इसलिए टेल्को वर्कर्स यूनियन को सुलह प्रक्रिया में शामिल करना कानूनी अनिवार्यता है।

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