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घरेलू प्लास्टिक उद्योग को बचाने के लिए सरकार करें समर्थन- जिगिश दोशी

प्लास्टिक और पॉलिमर उद्योग को केन्द्र सरकार से बजट पूर्व अपेक्षाएं

जमशेदपुर। प्लास्टइण्डिया फाउण्डेशन के अध्यक्ष जिगिश दोशी ने केन्द्र सरकार से घरेलू प्लास्टिक उद्योग को समर्थन देने के लिए केन्द्रीय बजट 2023-24 में पॉलिमर पर आयात शुल्क कम करने और तैयार प्लास्टिक उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाने का आग्रह किया है। उन्होंने आशा जताई है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कच्चे माल से पूरे प्लास्टिक उद्योग के समग्र विकास और मशीनरी निर्माताओं के लिए कनवर्टर विकास को ध्यान में रखते हुए बजट तैयार करेंगी। प्लास्ट इण्डिया फाउण्डेशन का आदर्श मोटो भारतीय प्लास्टिक उद्योग को 2025 में 5 ट्रिलियन अमरीकी डालर से 2045 तक एक महत्वाकांक्षी अमरीकी डालर 25 मिलियन तक उच्च विकास पथ पर रखना है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केन्द्रीय बजट पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। जिगिश दोशी ने कहा कि भारत को प्लास्टिक के लिए वैश्विक सोर्सिंग हब बनाने के लिए प्लास्ट इण्डिया फाउण्डेशन पूरे दिल से मेक इन इण्डिया और आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करता है। हालाँकि हमें इसे वास्तविकता बनाने के लिए सरकार से समर्थन की आवश्यकता है। साथ ही भारत में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी दोशी ने क्रमवार कई सुझाव देने तथा सभी बिन्दुओं पर विचार करने का आग्रह भी किया है।
वित्त मंत्री को दिये गये दोशी के क्रमवार सुझाव इस प्रकार हैः-
भारत में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए जोशी ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से निम्नखित बिन्दुओं पर भी विचार करने का आग्रह किया है। पॉलिमर पर आयात शुल्क 5-7.5 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। भारत पर्याप्त पॉलिमर का उत्पादन नहीं करता है और आयात अपरिहार्य है। भारतीय प्लास्टिक उद्योग को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए पॉलिमर पर आयात शुल्क कम करने की आवश्यकता है। घरेलू प्लास्टिक प्रोसेसिंग उद्योग का समर्थन करने के लिए तैयार प्लास्टिक उत्पाद पर कस्टम ड्यूूटी न्यूनतम 20 प्रतिशत या उससे अधिक होनी चाहिए। सरकार रिन्यूएबल एनर्जी पर ध्यान केन्द्रित कर रही है, और यह प्लास्टिक उद्योग के सुनहरा अवसर है। हालांकि, वर्तमान में सौर पैनलों और पवन चक्कियों के लिए 90 प्रतिशत कम्पोनेंट आयात किए जाते हैं और इन उत्पादों को भारत में केवल असेंबल ही किया जाता है। स्थानीय निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए ईवीए, बैक शीट, मेटल फ्रेम, सोलर ग्लास आदि कम्पोनेंट्स के आयात पर सीमा शुल्क कम से कम 20 प्रतिशत होना चाहिए। प्लास्टिक उद्योग ईवीए और बैक शीट के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस उद्योग को 5 रुपए प्रति यूनिट से कम पर निर्बाध बिजली उपलब्ध कराई जाए। भारत में बिजली की उच्च दर है और बिजली का उतार-चढ़ाव (पावर फ्लैक्चुएशन) भी बहुत अधिक है। यह दर पड़ोसी देशों के बराबर है, जो कम कीमत पर उद्योगों को निर्बाध बिजली उपलब्ध कराती है। भारत में एक मुक्त श्रम कानून होना चाहिए, हालांकि मजदूरी इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए कि यह निर्माण उद्योग को विश्व स्तर पर अप्रतिस्पर्धी बना दे। श्रम कानून केन्द्र सरकार के दायरे में आना चाहिए और पूरे देश में वेतन टियर 1, टियर 2 और टियर 3 शहरों में एक समान होने चाहिए सभी उत्पाद श्रेणियों में जीएसटी 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

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