FeaturedJamshedpurJharkhand

ग्रीन मैन (हरित पुरुष) के नाम से सम्मानित किया गया मदन मोहन सोरेन को

जमशेदपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर में बेको पंचायत के डालापानी गाँव में वन अधिकार समिति के तत्वावधान में पुर्व मुखिया श्री दुर्लभ बेसरा के अध्यक्षता में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम जंगल बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोग जिनका देहांत हो चुका है उनका शहीद बेदी में श्रद्धांजलि दिया गया। साथ ही एक मिनट का मौन रखा गया।
कार्यक्रम में वन अधिकार समिति डालापनी, वन अधिकार समिति बेको, वन अधिकार समिति आमबेड़ा, वन अधिकार समिति पड़ासी डूंगरी, वन अधिकार समिति इंदूरमाटी, वन अधिकार समिति गोविंदपुर के अध्यक्ष, सचिव को अंगवस्त्र तथा पौधा देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के सभी वन अधिकार समिति के द्वारा झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता मदन मोहन सोरेन को जल जंगल जमीन और प्राकृतिक संसाधन की संरक्षण के लिए योगदान देने, वन कानून, वनों पर जन अधिकार,पर्यावरण के प्रति सामाजिक दायित्व निर्वाह करने हेतु विशेष जागरूकता हेतु
महत्वपूर्ण कार्य करने पर हरित पुरुष (ग्रीन मैन) की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह सम्मान विभिन्न वन अधिकार समिति के द्वारा संयुक्त रूप से दिया गया। गोपालपुर ग्राम पंचायत के मुखिया श्रीमती शांखी हांसदा के द्वारा शॉल ओढ़ाकर एवं Truly का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया गया।
जमशेदपुर, पटमदा, बोड़ाम, घाटशिला, धालभूमगढ़, मुसाबनी, पोटका आदि प्रखंडों में 40 लाख से अधिक पेड़ बचाया है।
इस अवसर पर वन अधिकार समिति डाला पानी के सचिन किंकर महतो ने बताया कि मदन मोहन सोरेन को प्रकृति के प्रति प्रेम बचपन से ही देखा है। वह विवाह आयोजन और विशेष अवसरों में भी पौधा उपहार के तौर पर देते हैं। युवाओं को भी इस तरह के कामों में आगे आने की बताया।
मदन मोहन सोरेन ने कहा कि ज्यादातर जंगल ग्रामीणों के प्रयास से ही बचाया जा सका इसलिए सरकार की सोच जैन अपेक्षा के अनुरूप लाना होगा तब बृहद पैमाने पर जंगल और पर्यावरण को बचाया जा सकता है उन्होंने कहा कि जंगल पर जन अधिकार वन अधिकार कानून 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दावा करने की बात की।
उन्होंने कहा कि आदिवासी परंपरा, संस्कृति और विचार से प्रेरणा लेकर धरती और मानव सृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है। आदिवासियों के जीवन शैली को गंभीरता पूर्वक समझने की जरूरत है जो हमेशा प्रकृति से दोस्ताना संबंध बनाकर रहता है।
इस अवसर पर किंकर महतो, शंखी हांसदा, माझी परगना महाल के सुधीर कुमार सोरेन, प्रखंड अध्यक्ष बहादुर सोरेन, मुकेश कर्माकर,राखल सोरेन, दुखीराम मार्डी आदि ने विचार रखा। कार्यक्रम का संचालन सुखलाल हांसदा ने की।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से दुर्लभ बेसरा, शिवनाथ गोराई,कुनाल बास्के, टीपुराम सोरेन, रामराज सोरेन,गुरुप्रसाद महतो, यमुना हांसदा, तुलसी हांसदा, सलमा, कल्याणी महतो, धीरेन महतो,पप्पू सोरेन आदि का सराहनीय योगदान रहा।

Related Articles

Back to top button