गाजियाबाद:प्रदेश में पावर ऑफ अटार्नी पंजीकरण पर रोक नहीं
राजेश कुमार झा
प्रयागराज/गाजियाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में जनरल पॉवर ऑफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग के लिए दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पॉवर ऑफ अटार्नी के जरिए संपत्ति बेचने को वैध करार दिया है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। कोर्ट ने गाजियाबाद में पॉवर ऑफ अटार्नी से फर्जी ट्रांजेक्शन के जरिए प्रदेश के बाहर की संपत्तियां बेचकर सरकार को स्टांप शुल्क का नुकसान पहुंचाने के मामले की जांच कर रही एसआईटी को चार माह में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन गांधी नगर गाजियाबाद व सोसायटी फॉर वॉयस ऑफ ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा याचिका जनहित के लिए दाखिल नहीं की गई है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति कोर्ट में नहीं आया है। उत्तर प्रदेश के आईजी पंजीकरण ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 92 हजार 520 पॉवर ऑफ अटार्नी पंजीकृत हुई हैं। इनमें से 53013 गाजियाबाद व 10374 पॉवर ऑफ अटार्नी गौतमबुद्धनगर की हैं। गाजियाबाद की सदर तहसील की 29425 पॉवर ऑफ अटार्नी से दूसरे प्रदेशों की संपत्तियां बेची गई हैं। इससे राज्य को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है और प्रदेश में विवाद उठे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने स्वयं ही कहा है कि पॉवर ऑफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक नहीं है। बोगस ट्रांजेक्शन पर नियंत्रण के लिए एसआईटी जांच की जा रही है।
चार जनवरी से नहीं हो रही पावर ऑफ अटार्नी
गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में बीती चार जनवरी से पावर ऑफ अटार्नी पर प्रतिबंध है। तत्कालीन प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन वीना कुमार ने आदेश जारी कर इन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से ही एसआईटी गठित कर जांच कराई जा रही है। उन्होंने आशंका जताई थी कि अन्य प्रदेशों की गाजियाबाद व नोएडा में पावर ऑफ अटार्नी होने से इसके पीछे संगठित गिरोह के होने की आशंका है। इस पर गाजियाबाद सदर तहसील के अधिवक्ताओं ने जबरदस्त विरोध कर कई दिन तक हड़ताल भी की थी। तभी से गाजियाबाद में पावर ऑफ अटार्नी का पंजीकरण नहीं किया जा रहा।