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ख्रीस्तीय समुदाय ने गुड फ्राइडे मनाया प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को याद किया सात वचनों पर चलने का संकल्प दुहराया

राहुल सिंह
जमशेदपुर। गुड फ्राइडे के अवसर पर लौहनगरी का ख्रीस्तीय समुदाय शुक्रवार को अपने अपने मत के कलीसिया चर्च में पहुंचे और उन्होंने प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को याद किया और उनके सात वचनों पर चलने का संकल्प दुहराया।
स्थानीय लोयला स्कूल के चर्च में प्रिंसिपल एवं फादर विनोद फर्नांडिस ने यीशु मसीह के सात वचनों की व्याख्या करते हुए सवाल उठाए कि संसार में प्रेम शांति का साम्राज्य स्थापित होने तक उनके बताए मार्ग पर चलना है । हम सभी मदर मेरी की संतान है और इसमें नफरत हिंसा एशिया का कोई स्थान नहीं है।
यहां मसीही लोगों ने पवित्र क्रूस को को चूमा और मिसा बलिदान का परम प्रसाद ग्रहण किया।
इससे पहले प्रभु यीशु के क्रूस मार्ग की आराधना हुई और सभी की समृद्धि शांति प्रेम का साम्राज्य स्थापित करने के लिए प्रार्थना भी हुई।
यहां फादर कुरूविला, फादर के एम जोसेफ, फादर चार्ली परेरा, फादर जेम्स आदि शामिल हुए ।
परसों प्रभु यीशु मसीह का पुनरुत्थान पर्व इस पर मनाया जाएगा और इसके लिए शनिवार की रात तथा रविवार की सुबह में विशेष प्रार्थना सभाएं होंगी। इसी तरह , सीएनआई चर्च, संत जोसेफ महा गिरजाघर, बेल्डीह चर्च, जीईएल चर्च, सेंट मेरी चर्च में भी प्रार्थना सभाएं आयोजित हुई।
सीएनआई, बेल्डीह जीइएल मत के मसीही शनिवार-रविवार की रात कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों के कब्र पर फूल माला अर्पित करेंगे एवं मोमबत्ती जलाएंगे। इसके साथ ही पिछले 40 दिन का उपवास लेंट का समापन हो जायेगा।

पुण्य शुक्रवार को क्या हुआ
जिस दिन प्रभु ईसा मसीह को तमाम शारीरिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था. ईसा मसीह ने मानव जाति के लिए हंसते-हंसते अपना जीवन कुर्बान कर दिया, इसलिए इस शुक्रवार को ईसाई धर्म के लोग ‘गुड फ्राइडे’ के रूप में मनाते हैं. इस दिन को ईसाई धर्म में कुर्बानी दिवस के रूप में भी जाना जाता है.

ईसा का लोगों को मानवता का संदेश

तकरीबन2000 साल पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा लोगों को मानवता,एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे. उनके उपदेशों से प्रभावित होकर वहां के लोगों ने उन्हें ईश्वर मानना शुरू कर दिया. इस बात से वहां धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने लग गए.
यहूदी लोगों के बीच ईसा की बढ़ती लोकप्रियता वहां के ढोंगी धर्मगुरुओं को अखरने लगी. उन्होंने ईसा की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी. उन्होंने पिलातुस को बताया कि खुद को ईश्वरपुत्र बताने वाला यह युवक पापी होने के साथ ईश्वर राज की बातें भी करता है. शिकायत मिलने के बाद ईसा पर धर्म की अवमानना के साथ राजद्रोह का आरोप लगाया गया. इसके बाद ईसा को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया गया. कोड़े-चाबुक बरसाने और कांटों का ताज पहनाने के बाद कीलों से ठोकते हुए प्रभु यीशु को सूली पर लटका दिया गया. इस यातना भरे मार्ग को क्रूस मार्ग कहा जाता है।

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