क्रानियोसीनोस्टोसिस से जूझ रही थी 1 साल की नन्हीं गौरी, कुणाल षाड़ंगी की पहल पर हुआ ऑपेरशन, अब स्वस्थ्य
जमशेदपुर। क्रानियोसिनेस्टोसिस जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित गालूडीह की 1 साल की मासूम गौरी गोराई के सफल ऑपरेशन के बाद अब उसे नया जीवन मिला है। पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी एवं उनकी संस्था नाम्या फाउंडेशन के सदस्यों के हस्तक्षेप से यह जटिल ऑपेरशन पिछले दिनों संभव हो पाया। ओड़िसा के एम्स में तीन महीने पहले बच्ची की ऑपेरशन हुई थी। चिकित्सकों ने उसे तीन माह तक विशेष निगरानी में रखा था। गौरी को क्रानियोसीनोस्टोसिस नामक अत्यंत जटिल बीमारी थी। इसमें बच्चों के सिर की हड्डियों के समय से पहले जुड़ने के कारण उनके सिर का आकार बढ़ जाता है और दिमाग, आंख और दूसरे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। ढाई हजार बच्चों में करीब एक को ही यह बीमारी होती है। बीमारी का समय से इलाज न होने पर बच्चे की सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है और याददाश्त कम होती जाती है। क्रानियोसीनोस्टोसिस का ऑपरेशन काफी जटिल होता है। सर्जरी में सिर को पूरा खोला जाता है और फिर हड्डियों को कई टुकड़ों में अलग कर सही तरीके से जोड़ा जाता है। ऑपेरशन के बाद मासूम गौरी गोराई के लिए ख़तरा टल गया है। वह अब एक सामान्य जीवन जी सकेगी।
इस मामले को तीन महीने पूर्व जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ता संजय विश्वकर्मा और भाजपा नेता विजय सोय ने उठाया था। इनके स्तर से इस मामले को अभियान का रूप देकर शहर के चर्चित लोगों से मदद की अपील की गई थी। शासन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा उचित मदद नहीं मिलने पर भी इन्होंने प्रयास जारी रखते हुए ट्विटर के मार्फ़त पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी और उनकी संस्था नाम्या फाउंडेशन से संपर्क किया। इस मामले में कुणाल षाड़ंगी ने उचित हस्तक्षेप करते हुए बच्ची के लिए उड़ीसा के एम्स अस्पताल में ऑपेरशन का प्रबंध करवाया था। बहरागोड़ा की सुमंत होता सहित नाम्या फाउंडेशन की निधि केडिया, पूर्णेन्दु शेखर पात्रा, जयदीप आईच सहित अन्य भी लगातार इस मामले में नज़र बनाये हुए थें। करीब 12 घन्टों के जटिल ऑपेरशन के बाद चिकित्सकों ने 3 माह तक विशेष चौकसी और सावधानी बरतने की बात कही थी। अब चिकित्सकों ने मासूम गौरी गोराई को फ़िट घोषित कर दिया है। इस मामले पर संतोष ज़ाहिर करते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने ईश्वर और धरती के भगवान के प्रति आभार जताया। वहीं मामले में लगातार निगरानी रखने वाले नाम्या फाउंडेशन के सदस्यों के प्रति भी धन्यवाद व्यक्त किया। कहा कि जटिल कार्यों में सफलता मिलना मनोरथ पूर्ण होने जैसा है। लग्न, दृढ़ इच्छाशक्ति और टीमवर्क के बदौलत असंभव लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है, इस मामले ने यह साबित किया।