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कोल्हान में ओड़िया भाषा स्कूल एवं कॉलेजों को राज्य सरकार कर रही अनदेखी : अशोक सामंत

जमशेदपुर। झारखंड के लगभग 7 जिलों में ओड़िया भाषा पढ़ने लिखने हेतु सैकड़ों स्कूल विगत 90 वर्षों से अपनी भाषा, संस्कृति एवं सामाजिक दायित्व का निर्वाहन करती आ रही है।
जिसमें स्थानीय सरकार के द्वारा पूर्व में स्कूल एवं कॉलेजों को हर संभव सहायता मिलती थी। परंतु विगत कई वर्षों से झारखंड में उड़िया स्कूल के प्रति अनदेखी निरंतर जारी है। जिसके कारण झारखंड में निवास करने वाले ओड़िया बच्चों को अपनी मातृभाषा में लिखने पढ़ने हेतु संसाधनों की घोर कमी महसूस की जा रही है। जैसे पूर्व के तरह स्कूल एवं कॉलेजों में ओड़िया शिक्षक नियुक्ति, ओड़िया पुस्तक, पुस्तकालय की घोर अभावग्रस्त परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस संदर्भ में पूर्व में कई बार राज्य सरकार को इस संकट से निजात हेतु पत्र लिखी गई परंतु सरकार आज तक किसी तरह का उड़िया भाषा विद्यार्थियों को सहयोग करने में अक्षम रही।
इस सारे मुद्दे पर कोल्हान में जितने भी ओड़िआ मीडियम स्कूल के संचालन समितियों के द्वारा आज एक बैठक गोलमुरी उत्कल समाज, (जमशेदपुर) परिसर में की गई, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य झारखंड में उड़िया भाषा साहित्य एवं संस्कृति के प्रति राज्य सरकार के द्वारा दमनकारी एवं कुठाराघात के विरुद्ध में तीव्र जन आंदोलन का शंखनाद की गई।
बैठक का अध्यक्षता चक्रधरपुर के सरोज प्रधान एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश सारंगी, उत्कल समाज के अध्यक्ष अनंत नारायण पाढ़ीं, उपाध्यक्ष अशोक कुमार सामंत, महासचिव प्रदीप कुमार जेना, सचिव शैलेंद्र प्रसाद लेंका, सुशील कुमार विश्वाल, कार्यकारिणी सदस्य श्यामसुंदर बारिक, प्रदीप नायक, मनोरंजन गौड़, उत्कल एसोसिएशन की महासचिव तरुण कुमार महांती, कोषाध्यक्ष पवित्र मोहन जेना, सोमेंद्र कुमार , किशोर नायक, चक्रधरपुर से समाजसेवी नंदू पांडे, सरायकेला जिला के जिला परिषद चेयरमैन श्रीमती मीनाक्षी पट्टनायक, सुशील सारंगी, बहरागोड़ा से गिरि बाबू, अधिवक्ता द्विजन सारंगी, जयंती गढ़ से सुभाष बेहरा, आदि अनेक बुद्धिजीवी लोग विभिन्न क्षेत्रों से जैसे चक्रधरपुर, सरायकेला, खरसुआं, आदित्यपुर ,गम्हरिया, मुसाबनी, घाटशिला, बहरागोड़ा आदि स्थानों से प्रतिनिधिमंडल अपनी उपस्थिति होकर अपनी समस्याओं से लोगों को अवगत कराया। अंत में मंच द्वारा सर्वसम्मति क्रमें आगामी दिनों संयुक्त रूप से एक प्रतिनिधिमंडल झारखंड के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी समस्या का समाधान हेतु लिखित अनुरोध पत्र देने का निर्णय लिया गया।

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