कैट ने पियूष गोयल से सीसीआई द्वारा एमेजॉन और फ्लिपकार्ट कैटकी तत्काल जांच की मांग की
जमशेदपुर। अब जब कि ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे पर हितधारकों से सभी सुझाव प्राप्त हो गए हैं इसलिए अब बिना किसी और विलम्ब के केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को उक्त सुझावों पर विचार कर तुरंत ई-कॉमर्स नियमों को अधिसूचित करना चाहिए ताकि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को सही तरीके से चलाया जा सके जिससे न केवल छोटे व्यापारी बल्कि देश के आम उपभोक्ता भी उसका पूर्ण लाभ उठा सकें -यह कहते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने आज केंद्रीय बाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलो के मंत्री श्री पियूष गोयल को भेजे एक पत्र में कहा है की देश के ई कॉमर्स व्यापार में व्यापत विसंगतियों को दूर करने हेतु ई कॉमर्स नियमों को तुरंत जारी किया जाए ! इस बीच कैट ने श्री गोयल से यह भी आग्रह किया है की कर्णाटक हाई कोर्ट द्वारा हाल ही में अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट द्वारा दायर याचिका जिसमें सीसीआई द्वारा जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी , उसको खारिज कर दिया है ऐसे में श्री गोयल सी सीआई को कांच तुरंत शुरू करने का निर्देश दें।
श्री गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थालिया ने कहा की राखी से दिवाली तक जल्द शुरू होने वाले आगामी त्योहारी सीजन के मद्देनजर, ई-कॉमर्स के नियमों को तुरंत अधिसूचित किया जाना आवश्यक है जिससे देश में एक स्वस्थ एवं पारदर्शी ई कॉमर्स व्यवस्था कायम हो सके और जिसका लाभ न केवल छोटे व्यापारी बल्कि आम उपभोक्ता भी उठा सकें लेकिन उससे पहले कुछ बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की दादागिरी को ख़त्म करना बेहद जरूरी है ! ई कॉमर्स व्यवसाय के वार्षिक कारोबार का लगभग 50% व्यापार इसी त्योहारी सीजन की अवधि के दौरान होता है ! इस तरह के त्योहार की अवधि के महत्व को देखते हुए, ई-कॉमर्स व्यवसाय को इस तरह से विनियमित किया जाना चाहिए जिससे गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी व्यापार प्रणाली हो सके।
श्री खंडेलवाल और श्री सोन्थालिया ने कहा कि विचाराधीन नियम भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय के संचालन के तौर-तरीकों और मानकों का स्पष्ट दस्तावेज हैं और भारत के ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने के लिए कुछ वैश्विक ई-टेलर्स की दीर्घकालिक रणनीति को नष्ट करेंगे तथा भारत में एक समान के स्तरऔर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का व्यापारिक माहौल बनाएंगे ! कुछ निहित स्वार्थ समूहों द्वारा प्रस्तावित नियमों का अतार्किक और अनावश्यक विरोध उनका अनर्गल प्रलाप है जिसका कोई आधार नहीं है ! यह कंपनियां समझ लें की भारत के 8 करोड़ व्यापारी पूरी तरह सतर्क हैं और किसी भी सूरत में किसी भी ई-कॉमर्स कम्पनी को देश के ई कॉमर्स व्यवसाय का अपहरण नहीं करने देंगे।
कैट ने आगे कहा कि विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों के व्यापार प्रथाओं के अनैतिक और कानून का उल्लंघन करने से देश में बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गई हैं। इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने छोटे व्यापारियों के व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के बजाय सभी प्रकार के कदाचारों में लिप्त होकर देश के छोटे व्यापारियों के व्यापार को बर्बाद करने का षड्यंत्र रचा हुआ है और अब समय आ गया है जब इस षड्यंत्र को समाप्त किया जाना बेहद जरूरी है।
कैट ने कहा कि भारत के व्यापारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह मानते है कि ई-कॉमर्स भविष्य का सबसे आशाजनक व्यवसाय है और भारत के व्यापारियों को भी ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अन्य स्वरुप के रूप में अपनाना चाहिए जिसके लिए कैट प्रतिबध्द है।