कलश यात्रा के साथ जुगसलाई राजस्थान शिव मंदिर में ्भागवत कथा का शुभारंभ
सनातन धर्म समाधान देने वाला धर्म भी है- गौभक्त डॉ. संजीव
जमशेदपुर। श्रीधाम वृन्दावन से पधारे युवा धर्माचार्य एवं भागवत कथा के परम विद्वान प्रवक्ता गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी महाराजश्री के पावन सान्निध्य में पावन पुरूषोत्तम मास के सुअवसर पर मालीराम घनश्याम दास गढ़वाल एवं समस्त गढ़वाल परिवार (थोई निवासी राजस्थान) द्वारा जुगसलाई एमईस्कूल रोड़ स्थित श्री राजस्थान शिव मंदिर में आयोजित सप्ताह व्यापी श्रीमद् भागवत कथा का मंगलवार की सुबह कलश यात्रा के साथ मंगल श्री गणेश हुआ। विधिविधान से पूजन अर्चना कर कलश यात्रा गढ़वाल निवास राम टेकरी रोड़ से निकली। सैकड़ों की संख्या में महिलाएं अपने सर पर कलश रखकर यात्रा में शामिल हुई। मेन रोड़ बाबा कुटी शिव हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर कलश यात्रा आगे बढ़ी जो चौक बाजार, एमई स्कूल रोड़ होते हुए स्वयंवर उत्सव गृह राजस्थान शिव मंदिर पहुंची। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का कई स्थानों पर स्वागत किया गया। भागवत की पूजा अर्चना की और पूजन के बाद कलश की स्थापना की गई। कथा के प्रथम दिवस में महात्म्य कथा करते
हुए व्यास पीठ से महाराजश्री ने बताया कि प्रभु की कथा जब और जिसे भी मिलती है, किसी कारण से नहीं अपितु प्रभु करुणा के फलस्वरूप ही मिलती है। बड़े सौभाग्यशाली हैं आप सभी जमशेदपुर व अन्य स्थानों से पधारे प्रभु कथा प्रेमी जन जो यह प्रभु कथा की गंगा स्वयं चलकर आपके पास तक आई है। महाराजश्री ने आगे बताया कि सनातन धर्म ही समाधान का धर्म भी है। यहाँ जब भी कोई किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है अथवा तो द्वंद की स्थिति में आ जाता है तो हमारे ग्रंथों के आश्रय में आकर पूर्ण समाधान को प्राप्त करता है। भगवान वेद व्यास जी जैसे महामनीषियों को भी जब संशय घेर लेता है तब श्रीमद्भागवत जैसे महापुराण का जन्म होकर अनंतानंत जीवों के संशयों की निवृत्ति होती है और जीवन आनंदमय बन जाता है। कथा सुनने मात्र से जीव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। प्रथम दिन सुबह कलश यात्रा एवं शाम को भागवत कथा में प्रमुख रूप से मालीराम गढ़वाल, घनश्याम दास गढ़वाल, राजेश गढ़वाल, दिनेश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, छीतरमल धुत, ओमप्रकाश गढ़वाल, सत्यनारायण अग्रवाल, महेश गढ़वाल, संजय अग्रवाल, बासु गढ़वाल, लिप्पु शर्मा, उमेश खीरवाल, गणेश अग्रवाल, राकेश गढ़वाल, लोचन मेंगोतिया, नारायण, वासुदेव, संजय, पवन, सोनु सहित बड़ी संख्या में पधारकर प्रभु कथा प्रेमियों द्वारा महाराजश्री के श्रीमुख से निष्ठा एवं भाव पूर्वक प्रभु कथा का रसपान किया गया।