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कपड़े पर जीएसटी वृद्धि के मुद्दे पर पियूष गोयल ने कैट के कपडा संगठनों के साथ की एक वीडियो कॉन्फ्रेंस

जमशेदपुर। कपड़े पर जीएसटी की दरों में वृद्धि के मुद्दे पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आग्रह पर केंद्रीय वाणिज्य एवं वस्त्र मंत्री पियूष गोयल ने आज देश के सभी राज्यों के प्रमुख कपडा संगठनों के साथ एक वीडियों कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल राष्ट्रीय सचिव श्री सुरेश सोन्थालिया ने जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा कपडे में जीएसटी कर वृद्धि को स्थगित कराये जाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर केंद्रीय वाणिज्य एवं वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल को धन्यवाद देते हुए आग्रह किया की यह वृद्धि फिलहाल स्थगित की गई है किन्तु इसकी तलवार अभी भी कपड़ा एवं संबंधित अन्य अनेक व्यापारों पर ज्यों की त्यों लटकी हुई है, यह वृद्धि विशुद्ध रूप से तर्कों एवं कपड़ा व्यापार की जमीनी हकीकत के मद्देनजर वापिस लिए जाना जरूरी है । कैट ने गोयल से इस मुद्दे पर केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से बातचीत करने का आग्रह श्री गोयल से किया। इस कॉन्फ्रेंस में वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोष, सचिव वस्त्र श्री उपेंद्र सिंह सहित वाणिज्य मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे ! कॉन्फ्रेंस में देश के सभी राज्यों के 250 से अधिक कपडा संगठनों के व्यापारी नेताओं ने भाग लिया।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप पर जीएसटी कर दर वृद्धि को स्थगित करने पर श्री मोदी का आभार व्यक्त करते हुए गोयल द्वारा एक मजबूत सेतु बनने पर उनका भी आभार व्यक्त किया ! उन्होंने यह भी आग्रह किया की कपड़े की भाँती फुटवियर पर भी कर की दर कम होनी चाहिए क्योंकि फुटवियर भी कपड़े की तरह आम आदमी के जीवन का एक अहम् हिस्सा है।
झारखण्ड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा लगातार अपनी मनमानी का मुद्दा उठाते हुए कहा की यदि इन कंपनियों को तुरंत नियम एवं क़ानून का पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया गया तो इन कंपनियों को ईस्ट इंडिया कम्पनी बनने में कोई देर नहीं लगेगी और भारत का व्यापार धीरे धीरे उनके कब्जे में होगा।
श्री गोयल ने विडिओ कॉन्फ्रेंस में व्यापारी नेताओं को सम्बोधित करते हुए देश के व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में व्यापारियों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा की व्यापारी एवं किसान भारत की प्रगति का एक अहम् हिस्सा हैं और मोदी सरकार व्यापारियों को देश में बेहतर व्यापारिक वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है ! उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री श्री मोदी व्यापारियों के विषय में स्वयं रुचि लेते हैं क्योंकि वो देश के व्यापार को भली भांति समझते है ! कपड़े पर जीएसटी की बढ़ी कर दर को वापिस लेने की कैट की मांग पर उन्होंने कपड़ा मंत्रालय के अधिकारियों को कैट के साथ बातचीत करने और व्यापारियों के दृष्टिकोण को समझने का निर्देश दियाऔर यह भी कहा की कपड़ा मंत्रालय शीघ्र ही जीएसटी फिटमेंट कमेटी और बोम्मई कमेटी के साथ कैट की सार्थक बैठक कराने में सहायता प्रदान करेगा जिससे व्यापारियों की चिंताओं और उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों को समझा जा सके ! उन्होंने यह भी कहा की कैट जिस प्रकार से देश में व्यापारियों के हितों के लिए लगातार केंद्र एवं राज्य सरकारों के इस मीटिंग में शामिल विभिन्न राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं ने श्री गोयल से कपड़ा पर कर की दर में वृद्धि को वापस लेने की अपील की क्योंकि फिलहाल यह राहत केवल स्थगन है जबकि इस कर वृद्धि का कोई औचित्य ही नहीं है । उन्होंने कहा की देश में जीएसटी लागू होने से पहले कपड़े पर कोई बिकी कर अथवा वैट कर नहीं था क्योंकि कपड़े को रोटी और मकान की समक्ष बुनियादी वस्तु दिल्ली सहित देश भर में इस व्यापार के जरिये करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है ! इस वृद्धि से जहाँ देश का कपड़ा व्यापार प्रभावित होगा वहीँ दूसरी ओर देश की 85 प्रत्सोहत जनता जो एक हजार रूपए से कम के कपड़े खरीदती है , उन पर महंगाई का बड़ा बोझ पड़ेगा !
कैट ने बताया की इस मुद्दे पर कैट केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केंद्रीय मंत्री और पूर्व कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी ) के अध्यक्ष तथा जीएसटी काउंसिल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेगा और कपड़ा पर जीएसटी वृद्धि के मुद्दे को उसके तार्किक अंत तक ले जाएगा।पूरे देश के व्यापारियों के साथ झारखण्ड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण लोहिया, अनिल जलान और रोहित पोद्दार । जमशेदपुर थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अध्यक्ष स्वरूप गोलेछा, नवीन वर्णवाल, दिनदयाल अग्रवाल, अशोक सारस्वत और अशोक सराइवाला उपस्थित थे।

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