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एक बेटी के लिए पिता के भाव


ओ बिटिया रानी मेरी गुड़िया रानी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह,

बांहों में अपनी तुझे झूला झुलाया,
उंगली थाम तुझे चलना सिखाया।
तेरे हर हठ को मैंने पूरा किया है
बड़ी हुई तो तुझे पढ़ना सिखाया।

ओ आंखों की पुतली मेरी लाडो रानी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह।
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह….

किलकारी से घर आंगन चहके,
बगिया की पंखुड़ियां महके।
तेरी एक मुस्कान से लाडो,
मेरी हर चिंता दूर हो जाती।

ओ मेरी राजकुमारी दादा की प्यारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह….

मैंने ब्याह को तेरे पैसे जोड़े
लेकिन लगते हैं कुछ थोड़े
लड़के वालों ने दहेज है मांगा
विनती की है कर भी जोड़े।

ओ मेरे दिल के टुकड़े बिटिया रानी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह…..

जैसे तैसे कर ब्याह तो रचाया,
बिटिया को सबने बहुत सताया।
मेरी फूल सी बच्ची कुछ न बोल सकी,
नर्क भरे जीवन से वो विदा हो चली।

मैं देख चुका हूं सीख चुका हूं कैसे अब रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह……

अब मेरा बेटियों से कहना,
बिटिया तुम आगे बढ़ना।
खुद के बल पर चलना सीखो,
इस प्रथा को तुम अब रोको।

पढ़ लिख कर तुम खड़ी हो जाओ तब तो रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी तब तो रचाऊं तेरा ब्याह…..

ओ मेरी बिटिया रानी, गुड़िया रानी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह,
ओ पापा की प्यारी मां की दुलारी कैसे रचाऊं तेरा ब्याह।।

स्वरचित रचना
नंदिता दीक्षित
सीतापुर
उत्तर प्रदेश

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