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एक नारी जब मां बनी


एक नारी जब मां बनी, शक्ति मिली नई
जाने कितने किरदार में मां बदल गई?

कभी नर्स, कभी डॉक्टर ,कभी वह शिक्षक का रूप धारी
कभी बच्चों के मासूम जिद के आगे वह है हारी
मां तू है सबसे अलग तुझ सा दूजा न कोई।
जाने कितने किरदार में मां बदल गई?

कड़ी धूप में मां हैं, शीतल छांव का एहसास
हर दर्द भाग जाए, जब मां रहती है पास।
आये जब भी गम के बादल, मां ढाल बन खड़ी रह गई
जाने कितने किरदार में मां बदल गई?

जब भी मुसीबत आए, जिह्वा पर आता मां का ही नाम।
जिन पर मां का आशीष होता, उसका बनता हर बिगड़ा काम।
बच्चों पर खुशियां लुटाकर वह हर गम सह गई।
जाने कितने किरदार में मां बदल गई?

सुदीप्ता जेठी राउत
जमशेदपुर, झारखंड

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