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शिव के अपमान का लक्ष्य रखने वाले दक्ष का यज्ञ हो गया भंग-सीताराम शास्त्री

मारवाड़ी महिला मंच का बिष्टुपुर तुलसी भवन में भागवत कथा का दूसरा दिन

जमशेदपुर। झारखंड प्रादेशिक मारवाड़ी महिला सम्मेलन और मारवाड़ी महिला मंच जमशेदपुर द्धारा बिष्टुपुर तुलसी भवन में चल रहे सप्ताह व्यापी श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन रविवार को कथावाचक सीताराम शास्त्री ने व्यास पीठ से श्री कपिल उपदेश, शिव चरित्र, धु्रव चरित्र एवं भरत चरित्रषण स्तुति संवाद प्रसंग का सुंदर व्याख्यान किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अवगुणों से सावधान रहना चाहिए, क्योंकि अवगुणों में संगठन होता हैं। व्यक्ति में एक अवगुण आने पर अगर सावधान नहीं हुआ तो अनेक अवगुण संगठित होकर पतन की ओर ले जाते हैं।
दक्षयज्ञ प्रसंग सुनाते हुए महाराज जी ने कहा कि यज्ञ का उद्देश्य पवित्र होना चाहिए। दक्ष कर्मयोगी था, कर्मठ था, किंतु कर्म का उद्देश्य उसने अपवित्र रखा, शिव के अपमान का लक्ष्य रखा, जिसका परिणाम यह निकला कि उसका यज्ञ भंग हो गया और स्वयं का शिरोच्छेदन हुआ। कर्म का उद्देश्य यदि पवित्र हैं तो वह कर्म यज्ञ कहलाता हैं। कथावाचक नेे आगे कहा कि भक्ति में दृढ़ता का भाव होने पर ही भागवत साक्षात्कार संभव हैं। सदा साधक को याद रखना चाहिए कि बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते। धु्रव जी ने एक निश्चय किया था कि मुझे भागवान का साक्षात्कार करना हैं। वह निश्चय ही उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सफल बनाता हैं। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को दुर्लभ मानता हैं, वह कभी भी लक्ष्य को नहीं पा सकता।
यजमानों ने की पूजाः- रविवार की सुबह 09 यजमान क्रमशः जगदीश खंडेलवाल, किशन चौधरी, कमलेश मोदी, रीता लोधा, अजय अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, डा. रेणुका, अंजु सर्राफ, सविता खीरवाल ने संयुक्त रूप से पूजा करायी। महाराज जी तीसरे दिन सोमवार को अजामिल उद्धार, भक्त प्रहलाद चरित्र एवं नरसिंह अवतार का प्रसंग सुनायेंगे। इस दौरान उपस्थित श्रद्धालु देर संघ्या तक कथा में जमे रहे।
इनको मिला सम्मानः- संस्था का एक प्रकल्प है अंगदान, देहदान, नेत्रदान। इसके अंतर्गत निःस्वार्थ सेवा और सहयोग करने वालों को भागवत कथा के दौरान सम्मानित किया गया। अंगदान के तहत अपनी धर्मपत्नी स्नेहलता चौधरी का अंगदान करवाने वाले सरायकेला के रमन चौधरी, 74 बार रक्तदान करने वाली चाईबासा की निशा केडिया, रोशनी संस्था के पदाधिकारी सहित डा. अजय गुप्ता एवं डा. विवेक केड़िया को कथावाचक सीताराम शास्त्री ने अपनेे हाथों से सम्मानित किया।

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