ई-रिक्शा चलाकर निभा ने बदली अपनी जिंदगी; ईवी, ओके प्लीज ने साझा की कहानी
लेट मी ब्रीथ’ चला रहा है इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मुहीम, 'ईवी, ओके प्लीज
जमशेदपुर। इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के प्रति लोगों प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकारें तरह-तरह की पहल कर रही हैं। इसी प्रयास का प्रतिफल है जमशेदपुर के डिमना रोड, मानगो की रहने वाली निभा देवी। निभा ई-रिक्शा चलाकर अपनी और अपने परिवार का अच्छे से भरण-पोषण करने में मददगार बन रही हैं। निभा के बदलाव की इस कहानी को ‘लेट मी ब्रीथ’ की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मुहीम, ‘ईवी, ओके प्लीज’ ने साझा किया है।
आज से दो वर्ष पहले तक निभा का दिन अपने दो बच्चों और पति की देखभाल में गुज़रता था। लेकिन फिर एक दिन उन्होंने अपने जीवन को अलग ढंग से जीने का फैसला कर लिया। एक स्वंय सेवी संस्थान रौशनी की मदद से ई-रिक्शा चालन का प्रशिक्षण लिया। और अपने परिवार के मामूली आय में अपना योगदान करने के इरादे से ई-रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। शुरुआत में वह किराए पर लिए गए अपने ई-रिक्शा शहर को जुबली पार्क के आस-पास चलाती थीं। वह रोज़ 1200 तक कमा लेती थीं लेकिन उनको अपने श्रम के लिए केवल 200 रूपए का ही भुगतान होता था। निभा इस से ख़ुश नहीं थीं। फिर निभा ने लोन की सहायता से एक सेकेंड हैंड ई-रिक्शा ख़रीद लिया। अब वह रोज़ाना, अपने नियत स्टैंड से शहर में 8 किलोमीटर तक सवारी को लाना-ले जाना करती है। निभा थोड़ी चिंता के साथ बताती हैं कि “मेरे पति पिछले कई महीनों से बेरोज़गार हैं। सोचती हूं कि अगर मैंने ई-रिक्शा चलाने की ट्रेनिंग नहीं ली होती तो पता नहीं आज मेरा और मेरे परिवार की क्या हाल हुआ होता।”
बदलाव की ऐसी ही कहानियों को मंच दे रही है ‘लेट मी ब्रीथ’ की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मुहीम, ‘ईवी, ओके प्लीज’। संस्था का लक्ष्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से आने वाले बदलावों को लोगों को कहानियों के ज़रिए परिचित कराना और इन क्षेत्रों में पर्यावरण-अनुकूल, ईको-फ्रेंडली परिवहन प्रणाली को सुदृढ़ करना है।
‘लेट मी ब्रीथ’ के संस्थापक और सीईओ तमसील हुसैन के कहते हैं कि ‘लेट मी ब्रीथ’ हमारे अपनी इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मुहीम, ‘ईवी, ओके प्लीज’ का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) से लोगों को परिचित कराना है। साथ ही उसमें उन्हें रूचि लेने और उसे अपनाने को प्रोत्साहित करना है।