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ईचा डैम से विस्थापन के खिलाफ झारखंड-उड़ीसा के विस्थापित एक हो- संघ


Chaibasa. ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान के द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार डाकुवा द्वारा डकारा करने के पश्चात्। झारखंड उड़िसा के सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रभावित/विस्थापितों के साथ प्रखण्ड तिरिंग पांडूपानी पंचायत अंतर्गत मौजा- डोकोडीह में मुखिया श्री सुंदर बास्के जी की अध्यक्षता में मौजा के हातु दुनुब अकड़ा में की गई। संघ का नेतृत्व संयुक्त रूप से संयोजक दशकन कुदादा, सचिव सुरेश सोय और उपाध्यक्ष रेयांस सामड ने किया। बैठक को संबोधित करते हुए सुरेश सोय ने आह्वान किया कि ईचा डैम से विस्थापन के खिलाफ झारखंड उड़ीसा के विस्थापित एक हो। अपनी जल, जंगल और जमीन की लड़ाई खुद ही लड़नी होगी। आज तक राजनीतिक प्रतिनिधियों सिर्फ हमे आश्वाशन मात्र दिया है। इसलिए हमे एक होना होगा और सशक्त हो कर इनका मुहतोड़ जवाब देना होगा।
रेयांस सामड ने कहा की वर्तमान झारखंड सरकार के नाकामियों के कारण आज विस्थापित हसिये पर हैं। हेमंत सरकार चाहती तो डैम रद्द कर सकती थी। पर इनको सिर्फ राजनीतिक रोटी सेकनी है विस्थापितों के ऊपर। आदिवासी मूलवासी विस्थापन की लड़ाई में आगे आएं।
खूंटकट्टी अधिकार युक्त रैयत, ग्राम / मौजा के मूल प्रवृत्तकों के वंशजों, बंदोबस्त रैयतों, अधिभोगी रैयतों या ग्राम के वास्तविक मूल भूस्वामियों ( खतियानी रैयतों, आदिवासियों – मूलनिवासियों जिन्हे भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के रूप में सूचीवद्ध किया गया है ) के साथ स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना ( ईचा खरकई बांध परियोजना ) से उक्त ग्राम में आदिकाल से अस्थित्वयुक्त अधिकार रखने वालों पर प्रतिकूल प्रभावों, संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों, कुप्रभावों के मद्देनजर बैठक बुलाई गई। अन्य बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में मुख्य रूप से दशकन कूदादा, सुरेश सोय, रेयांस सामड, कृष्ण बांडरा, बिरसा गोडसोरा, सुनील बाड़ा, बीर सिंह हेंब्रम, गुलिया कालुंडिया, योगेश कालुंडिया, मुकरू कालुंडिया, मोती लाल कालुंडिया,मिलन कुमार कालुंडिया,मनसा बोदरा,सुंदर बास्की,राम प्रसाद मुर्मू,जय राम बस्के,दुर्गा पिंगुआ,मंगल बास्के,पन्ना लाल सामड,हरिचरण कालुंडिया, आंदोलनकारी सदस्य और ग्रामीण उपस्थित थे।

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