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मुख्यधारा की पत्रकारिता आजादी से पूर्व भी वैसी ही थी जैसे की आज है : हरिवंश

जमशेदपुर। मुख्यधारा की पत्रकारिता भी आजादी के पूर्व भी वैसी ही थी, जैसी कि आज है। प्रतिबद्धता की पत्रकारिता ने अपनी छाप छोड़ी है। दुनिया की पत्रकारिता से भिन्न थी, भारत की आजादी के दौरान की पत्रकारिता, जिन लोगों ने अपनी छाप छोड़ी नये मापदंड और प्रतिमान बनाया, उन्होंने निजी उद्यम से, अपने प्रतिबद्धता के तहत, अपने विचारों के तहत नयी लकीर खींचना चाहते थे, उन लोगों ने जो पत्रकारिता की वह प्रतिबद्धता की पत्रकारिता थी और वो मुख्य धारा की पत्रकारिता से एकदम अलग थी। इनमें कुल नाम महत्वपूर्ण है, जिन्हे आज याद किया जाता है, महात्मा गांधी, अबूल कलाम आजाद, बाल गंगाधर तिलक, बाबा साहेब अंबेडकर ने पत्रकारिता की, इन लोगों ने मुख्यधारा की पत्रकारिता नहीं की। इन्होंने अपनी प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया, पत्रकारिता किया। उक्त विचार राज्यसभा के सभापति और प्रखर पत्रकार हरिवंश 56वें राष्ट्रीय प्रेस डे के अवसर पर हिंदी मीडिया की चुनौतियों और अवसर पर व्याख्यान में मुख्यवक्ता के रूप में यहां करीम सिटी कॉलेज के ऑडिटोरियम में व्यक्त किया। प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर द्वारा आयोजित व्याख्यान में शहर के वरीय पत्रकार दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश की अध्यक्षता में दीप प्रज्जवलित कर मुख्य वक्ता राज्यसाभ के उपसभापति हरिवंश, वरीय पत्रकार दिनेश्वर प्रसाद दिनेश, प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अध्यक्ष संजीव भारद्वाज (रिन्टू), करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य डॉ मो. रियाज, करीम सिटी कॉलेज मास कम्युनिकेशन विभाग की प्रभारी व कार्यक्रम संचालक डॉ. नेहा तिवारी ने संयुक्त रूप से किया। अतिथियों को प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के अध्यक्ष ने पुष्प गुच्छ, शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
व्याख्यान के दौरान अपने संबोधन में हरिवंश ने बताया कि पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों के साथ हिंदी पत्रकारिता में पहला नाम राजा राममोहन राय का रहा, जिन्होंने समाज के लोगो में कैसे जागरुकता आए, इस विषय की पत्रकारिता की, 1854 में ऐसे ही पत्रकारिता श्याम सुंदर सेन ने, 1877 में भारतेन्द्रू, आजादी के संघर्ष के दौरान शांति नारायण भटनागर ने स्वराज्य नामक ऐसी पत्रिका निकाली, जिसके ढाई साल में आठ संपादक हुए और उनके सात संपादकों को काले पानी की सजा हुई, उस पत्रकारिता में योग्यता यही थी कि जो काला पानी के लिए तैयार हुए, वही संपादक बनें। उनकी प्रतिबद्धता कैसी थी कि इसके बावजूद भी लोग वहां संपादक बनें। उन्होंने आज की पत्रकारिता के संबंध में बताया कि दुनिया भर में पत्रकारिता के क्षेत्र में आयी चुनौतियां और उसके प्रभाव में पत्रकारिता पर प्रभाव का दो वर्ष तक अध्ययन करने वाली संयुक्त राज्य अमेरिका की एक कमेटी ऑफ कन्सर्न ने अपने अनुभवों पर आधारित एक किताब प्रकाशित की एलीमेंट ऑफ जर्नलिज्म, इसमें मूल बातें यहीं लिखी है कि जिस सच को उजागर करना पत्रकारिता का धर्म था, ये अपने रास्ते से भटकी है।
हरिवंश ने मुख्यधारा की पत्रकारिता की वर्तमान स्थिति के संबंध में कहा कि उनके सामने जो समस्याएं हैं, उनका मुकाबला करने और अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए जो कीमतें वो चुकाती हैं, उसके कारण उनकी पत्रकारिता प्रतिबद्धता की पत्रकारिता से अलग है। वर्तमान समय पर इसी संदर्भ में पाठक विश्लेषक के रूप में एक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका पंच लाइन ही था स्टॉप रीडिंग द न्यूज, किताब में कहा गया कि वर्तमान समय में प्रसारित-प्रकाशित होने वाली खबरें मस्तिष्क को गहराई से प्रभावित कर रही है। 30 वर्ष पूर्व विचारों से दुनिया बदलती थी, लेकिन आज विचारों को हटाकर टेक्नोलॉजी ने उसका स्थान ले लिया है। हमारे ग्रन्थों में हजारों वर्ष पूर्व वसुधैव कुटुम्बकम का सूत्र लिखा गया, और अब वैज्ञानिक पूरी दुनिया को ग्लोबल विलेज बता रहे है और यह सब टेक्नोलॉजी और नयी समकालीन समस्याओं के कारण है। समकालीन चुनौतियों और समस्याओं पर अगर आपने अपने देश व समाज को सचेत नहीं किया तो यह सवाल आपसे भी होंगे। आज पूरी दुनिया पर जलवायु परिवर्तन और अनेकों ऐसी समस्याएं है, जिसे हम अपनी पत्रकारिता से प्रमाणित तथ्यों के साथ सामने रखकर एक नयी तरह की पत्रकारिता कर सकते हैं। उन्होंने पत्रकारिता को नयी दिशा देने और प्रतिबद्धता की पत्रकारिता से इन चुनौतियों से लड़कर उसे अवसर में बदलने का विचार दिया। इस अवसर पर हरिवंश ने वहां उपस्थित आम लोगों के साथ साथ, पत्रकारों एवं मॉस कम्युनिकेशन से जुड़े छात्रों के प्रश्न लिये और उनका उत्तर दिया।
कार्यक्रम का संचालन करीम सिटी मास कम्युनिकेशन विभाग की प्रभारी डॉ. नेहा तिवारी ने सारगर्भित अंदाज में किया, कार्यक्रम में प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने स्वागत संबोधन करते हुए मुख्य वक्ता एवं अध्यक्ष का परिचय कराया. प्रेस क्लब ऑफ जमशेदपुर के पूर्व अध्यक्ष बी श्रीनिवास ने प्रेस क्लब की गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए डॉ. नेहा तिवारी ने बताया कि 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है, लेकिन यह मौका हमारे लिए विशेष था, और आज का दिन राष्ट्रीय तारीख में एक महत्वपूर्ण दिन है कि आज के दिन 12 नवंबर 1947 को महात्मा गांधी पहली बार आकाशवाणी जाकर उस समय की स्थितियों पर लोगों को संबोधित किये थे, इसलिए 12 नवंबर पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग डे (जन प्रसारण दिवस) के रूप में दर्ज है। श्री हरिवंश का बलिया, उत्तप्रदेश में जन्म हुआ. बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर एवं देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अपनी छाप छोड़कर प्रभात खबर को राष्ट्रीय स्तर के अखबार की ऊंचाई देने वाले व वर्तमान समय में राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश जी को इस क्षेत्र का शिखर पुरुष बताया। कार्यक्रम में शहर के गणमान्य लोग में मुख्य रूप से रबीन्द्रनाथ चौबे, राजकुमार सिंह, पंकज सिन्हा, राजेश शुक्ला, सरदार शैलेंद्र सिंह, मुकेश मित्तल, विजय आनंद मूनका, चिंटू सिंह सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थें। कार्यक्रम के दौरान लगभग सभी प्रमुख पत्र पत्रिकाओं के संपादक एवं सहकर्मी, करीम सिटी कॉलेज मास कम्युनिकेशन के साथ अरका जैन यूनिवर्सिटी, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी शामिल हुए।

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