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सिख रेजिमेंट के लिए टोपी नुमा हेलमेट मंजूर नहीं: जमशेदपुरी

जमशेदपुर । सिख सिध्दांतो अनुसार जो सिख टोपी धारण करता है कोढ़ी होकर मरता है केंद्र सरकार ने सिख फौजियों को सुरक्षा का हवाला देकर टोपीनुमा हेलमेट खरीदने की कवायद शुरू की है। इसके लिए केंद्र सरकार ने ऑर्डर भी दे दिया है, लेकिन सरकार के इस फैसले का चहुंओर विरोध भी शुरू हो गया है। इसी विरोध का हिस्सा बनते हुए जमशेदपुर के प्रचारक हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सरकार के इस फैसले की भर्त्सना करते हुए साफ़ कह दिया कि सिख रेजिमेंट के लिए टोपी नुमा हेलमेट कतई मंजूर नहीं है।
हरविंदर सिंह जमशेदपुरी ने सरकार के विरुद्ध बयान जारी करते हुए कहा की हम आम कर के टोपी के ख़िलाफ़ पढ़ते है सिख होवे सिर टोपी धरे सात जन्म कुसटी होय मरे अर्थात जो सिख टोपी धारण करता है कोढ़ी होकर मरता है। सिखों के लिए यह मात्र छः-सात मीटर का कपडा नहीं है बल्कि गुरुओं द्वारा दिया गया ताज है और सिखों की शान और पहचान का प्रतिक है।
इसीलिए वे केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले क्योंकि सिख कौम को यह कतई मंजूर नहीं है वरना सिख सड़क से लेकर संसद तक इस फैसले का जोरदार विरोध करेंगे।
जमशेदपुरी का कहना है कि जब भी देश में कोई सीमा संकट आया है तब सिखों ने क़ुर्बानी देने में अपना सीना हमेंशा आगे किया है। एक सिख अरदास में रोज़ पढ़ता है ज़िना सिंघा सिग्नियों ने धरम हेत शीश दिते अर्थात् सीखो ने अपना शीश दे दिया जान की परवाह नहीं कि उनपर यह उलजुलूल फैसला थोपना सरासर नाइंसाफी है।
बताते चलें कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी इस मुद्दे पर अपना ऐतराज जता दिया है। उनका कहना है कि पगड़ी पर कुछ भी पहनना, सिख मर्यादा के खिलाफ है।

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