बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय पटना में महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष डॉ स्मिता शर्मा एवं प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष के बजट ने संभावनाओं के कई द्वार खोले हैं। यदि इस संभावनाओं पर कार्ययोजना बनाकर काम किया जाए तो राज्य की प्रगति को बल मिल सकता है।
श्रीमती डॉ स्मिता शर्मा ने कहा कि ‘विकास को गति देने वाला अनुशासित बजट’कि जो विवेचना की गई है, वह पूरी तरह से सही है। सरकार ने विभिन्न आर्थिक एवं सामाजिक चुनौतियां का सामना करते हुए बहुत ही संतुलित एवं प्रगतिशील बजट देश के सामने रखा है। इस बजट का चौतरफा स्वागत हो रहा है। यह बजट निश्चित ही देश की अर्थव्यवस्था को गतिशील, सुदृढ़ और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने वाली है। विश्वकर्मा कौशल सम्मान जैसी जनशक्तिकरण योजनाओं को लाकर सरकार ने देश के असंख्य कारीगरों, शिल्पकारों, आदिवासियों तथा जनजातियों के कौशल विकास तथा उनको देश-विदेश के बजारों से जोड़ने का जो निर्णय लिया है,उसका वंचितों के उत्थान तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती करने में सकारात्मक परिणाम दिखाएं देंगा। इसी तरह भारतीय कृषि क्षेत्र को बाजारोन्मुखी बनाने तथा इस क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार सृजन करने के लिए नवाचार,प्रसंस्करण, सहकारिता, आधुनिक भंडारण एवं स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनकी देश को सख्त जरूरत है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और इस क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पादन में आशातीत योगदान बढ़ेगा। पर्यटन एवं माल- ढुलाई को गति देने के लिए पिछले साल-आठ साल से बहुत ही व्यवस्थित प्रयास चल रहे थे, उन्हें और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए बजट में किए गए प्रविधान सराहनीय है। इनसे निवेश के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वास्तव में यही वह समावेशी विकास है जो भारत को जोड़ता एवं सशक्त बनाता है। इसे मोदी सरकार बड़ी सूझबूझ से आगे बढ़ा रही है। रालोजपा महिला सेल की प्रदेश संगठन सचिव लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस नींव की बात कर रहे हैं, उसे बजट के मंथन से ही समझा जा सकता है। वर्तमान से लेकर भारत के भविष्य को सचमुच इस बजट से ‘अमृत’ प्राप्त हो, इसके लिए बजट बनाते समय मोदी सरकार ने ‘सबका साथ सबका विकास’की आकांक्षा का संकल्प जेहन में रखा है। लोकसभा चुनाव के पहले का अमृत बजट होकर भी न तो कोई इसे चुनावी कह सकता है और न लोकलुभावन। फ्री बांटकर देश को लूट आने वाला बजट नहीं, बल्कि देश हित में लाया गया दूरदृष्टि बाला बजट है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि पूर्व के बजट में आर्थिक शब्दावलियां मिलती थी लेकिन इस बजट में सनातनी शब्दों का उपयोग खूब हुआ, जैसे अमृतकाल का बजट, बजट की सात प्रथमिकता ओं को सप्तर्षि, मोटा अनाज को श्री अन्य, निवेशकों को मिशन कर्मयोगी, युवा शक्ति को अमृत पीढ़ी, शिल्पकारों को कर्मयोगी, भारत श्री, अमृत धरोहर, पंचामृत, पीएम- प्रमाण, विश्वकर्मा आदि। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती युवाओं के रोजगार देने की और महंगाई कम करने की होगी। बजट में वेतनभोगी वर्ग, युवाओं, महिलाओं, एमएसएमई सेक्टर के छोटे कारोबारियों को राहत व सुविधा के साथ मुफ्त राशन और प्रधानमंत्री आवास योजना को और ज्यादा मजबूती दी गई है। वहीं समाज के दलितों, वंचितों, पिछड़ों और जनजातीय समुदायों के लिए विभिन्न योजनाएं जारी कर उन्हें मजबूती देने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मैं भारी निवेश को अपना मूल मंत्र बना रखा है। अपने कार्यकाल के पहले लगभग आठ सालों में सरकार ने इसी मंत्र को अपनाया था और इस बार भी 10 लाख करोड़ से ज्यादा धनराशि सीधा मूलभूत ढांचे के विकास के लिए झोंका है। इसका सीधा लाभ नौकरियों के सृजन और लगभग 50 दूसरे उद्योगों को गति देने के काम आएगा। सनातनी शब्दों से लैस ब्रह्मास्त्र रुपी यह बजट मोदी सरकार के लिए कितना कारगर साबित होगा यह भविष्य बताएगा।