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अब हेमंत सोरेन से क्या उम्मीद करें : कुलविन्दर

अर्जुन मुंडा और रघुवर नहीं कर पाए तो दूसरे क्या करेंगे


जमशेदपुर। कौमी सिख मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कुलविंदर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक पूर्णिमा दास द्वारा झारखंड विधानसभा में 86 बस्तियों के मालिकाना हक सवाल उठाए जाने को बिन मौसम का राग़ बताया है।
कुलविंदर सिंह के अनुसार झारखंड राज्य बने तकरीबन 24 वर्ष बीत चुके हैं। 86 बस्तियों का मालिकाना हक का सवाल वर्ष 1990 से हर विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में उठता रहा है। 2020 के सरयू राय के निर्वाचन को छोड़ दे तो वर्ष 1990 से इस पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।
झारखंड बनने के बाद जमशेदपुर के अर्जुन मुंडा तीन बार और रघुवर दास एक बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।
भाजपा के यह दोनों बड़े राष्ट्रीय नेता जब 86 बस्ती के वासींदों को मालिकाना हक संवैधानिक तौर पर नहीं दिलवा सके तो दूसरे से क्या उम्मीद की जा सकती है?
यहां यही आरोप प्रत्यारोप का खेल होता आया है कि टाटा लीज की जमीन का अतिक्रमण किसने किया और किसने बेचा? तो इस मामले में सभी राजनीतिक दल इस आरोप से बच नहीं सकते कि अपने राजनीतिक दल के आका की ताकत एवं आड़ में नेताओं ने यहां जमकर जमीन का अतिक्रमण कर वारा न्यारा किया है?
यहां तो सभी राजनेताओं को राजनीतिक दल की सीमा से ऊपर उठकर मलिकाना हक दिलाने की कोशिश ईमानदारी से होनी चाहिए और यहां राजनीति की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। यदि यह जमीन टाटा लीज में होती और सबलीज की व्यवस्था कर दी गई होती तो संवैधानिक हल हो गया होता?

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