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अब आर-पार की होगी लड़ाई, क़ानूनी कार्यवाई के लिए तैयार रहे प्रबंधन समिति: भगवान सिंह

झारखण्ड के सिखों का अपमान बर्दाश्त योग्य नहीं, धरना प्रदर्शन करेंगे: शैलेन्द्र सिंह

जमशेदपुर।
पटना साहिब की दक्षिण बिहार सीट से झारखंड को किया गया बाहर

आखिर वही हुआ जिस बात का अंदेशा था तख्त श्री हरमंदिर साहिब, पटना का संचालन करने वाली प्रबंधक कमिटी ने दक्षिण बिहार निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड के सिखों को बाहर का रास्ता दिखा ही दिया है। रविवार को सीजीपीसी के प्रधान सरदार भगवान सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अंतिम सांस तक हक़ की लड़ाई लड़ने की बात कही है।
वहीँ सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के चेयरमैन एवं झारखंड प्रदेश गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान सरदार शैलेन्द्र सिंह ने इसे झारखण्ड के सिखों का अपमान करार दिया है। संरक्षक गुरदीप सिंह पप्पू से इसे अस्तित्व पर हमला कहा है जिसे मिलकर लड़ने की बात कही है।
भगवान सिंह ने गहरा रोष व्यक्त करते हुए कड़े शब्दों में कहा की जिन लोगों ने यह निर्णय लिया है उन्हें यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। यह एक मनमाना फैसला है। सीजीपीसी झारखण्ड के सिखों के हक़ की लड़ाई के लिए न्यायपालिका का भी सहारा ले सकती है। सरदार शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि जरुरत पड़ी तो झारखण्ड के सिख पटना साहिब जाकर धरना प्रदर्शन करेंगे। महासचिव अमरजीत सिंह और गुरचरण सिंह बिल्ला ने कहा है कि जनसँख्या क्षेत्रफल के हिसाब से झारखंड को मिनी पंजाब कहा जाता है और इस तरह के झारखण्ड के सिखों को वंचित रखना नाइंसाफी है जिसका वे घोर विरोध करते हैं।
गौरतलब है कि तख्त श्री हरमंदिर साहिब, पटना के निवर्तमान अध्यक्ष सरदार जगजीत सिंह सोही की अध्यक्षता में रविवार को हुई बैठक में लिया गया जहाँ प्रबंधन कमेटी ने दक्षिण बिहार निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड को बाहर कर दिया है। यानि अब झारखंड भौगोलिक क्षेत्र में स्थित 124 गुरुद्वारों के सिंह सभाएं आगामी मतदान प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पाएंगे। यह फैसला कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष सरदार जगजीत सिंह सोही की अध्यक्षता में रविवार को हुई बैठक में लिया गया। इतना ही नहीं बल्कि पटना निर्वाचन क्षेत्र एक के निवर्तमान प्रतिनिधि राजा सिंह की जीत को सुनिश्चित करने के लिए भक्तों के सभी कर्मचारियों की दो- दो हज़ार रूपए वेतन वृद्धि का फैसला लिया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कमेटी का कार्यकाल 14 जुलाई को खत्म हो चुका है और कोई भी नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता है। चुनावी प्रक्रिया के लिए मतदाता सूची अद्यतन करने की प्रक्रिया चल रही है और इस चुनाव में किसी भी हाल में किसी चुनाव क्षेत्र का परिसीमन नहीं किया जा सकता है। उनके अनुसार इसका फैसला तो अब बिहार उच्च न्यायालय एवं कस्टोडियन जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा बिहार सरकार के स्तर से ही लिया जा सकेगा।

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