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अपातकालीन स्थिति में उरांव समाज रक्तदान समूह के सक्रिय सदस्य रक्त का दान कर बसंत ने दिया समाज को संदेश

चाईबासा: यह तो सभी जानते हैं कि रक्त का कोई विकल्प नहीं होता है, एक मनुष्य ही दूसरे मनुष्य को अपना यह अमूल्य रत्न दे सकता है। किसी ने क्या खूब कहा है “मौका दीजिए अपने खून को किसी के रगों में बहने का, यह लाजवाब तरीका है कि जिस्मों में जिंदा रहने, रखने का।” बीती रात को आपातकालीन स्थिति में शहर चाईबासा के कुम्हार टोली निवासी रतन विश्वकर्मा के परिजन को रक्त की अति आवश्यकता पड़ रही थी, और संबंधित ग्रुप का रक्त न ही ब्लड बैंक में था, और न ही संबंधित ग्रुप का कोई व्यक्ति मिल रहा था, उन्होंने बहुत प्रयास किया परंतु असफलता ही हाथ लगी। अंततः उन्होंने उरांव समाज रक्तदान समूह के मुख्य संचालक “ब्लडमेन” लालू कुजूर से संपर्क किया, सूचना मिलते ही लालू अपने ग्रुप के सभी साथियों से संपर्क किया, अंततः संबंधित ग्रुप का रक्त एक ऐसे व्यक्ति से मिला जो अभी कुछ दिन पहले ही अपनी लक्ष्मी रूपी पुत्री का बाप बना है। बसंत करवा ने बिना देर किए अपने तीन दिन कि नवजात शिशु और अपनी पत्नी को घर में छोड़ रात 11:00 बजे सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में उपस्थित होकर अपना रक्तदान किया। एक सवाल के जवाब में बसंत ने बताया कि मैं आज बहुत खुश हूं कि मेरे घर में लक्ष्मी रूपी मेरी पुत्र पुत्री ने जन्म लिया है। जहां तक रक्त का दान करने वाली बात है तो हम मनुष्य का फर्ज बनता है कि ईश्वर ने जो हम मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने की जो व्यवस्था दी है, किसी के जीवन को बचाने में अपनी उपयोगिता, अपना कर्तव्य को निभाने का मौका मिला है, इसे नहीं गंवाना चाहिए। मैं विशेष रूप से उरांव समाज रक्तदान समूह के मुख्य संचालक “ब्लडमेन” लालू कुजूर को धन्यवाद देता हूं कि ऐसे पुनीत कार्य के लिए मुझे मौका दिया। समय का क्या है चाहे वो रात हो या फिर दिन, हम सबों को इस तरह के कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। मौके पर मुख्य रूप से मो. सैफी, बंधन खलखो, अविनाश कुजूर, नितेश लकड़ा उपस्थित थे l

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