अंतर्राष्ट्रीय रक्तदाता दिवस के अवसर पर आदिवासी उरांव समाज रक्तदान समूह ने किया बैठक व विभिन्न कार्यक्रमों का हुआ आयोजन
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चाईबासा। शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय रक्तदाता दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्र में अनेकों कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आदिवासी उरांव समाज रक्तदान समूह, चाईबासा की ओर से बान टोला (बरकंदाज टोली) स्थित पुस्तकालय में छोटी सी बैठक रखकर सभी रक्तदाताओं को समूह के मुख्य संचालक “ब्लडमेन” लालू कुजूर ने धन्यवाद दिया। मौके पर उन्होंने बताया कि आदिवासी उरांव समाज रक्तदान समूह की शुभारंभ 8 जून 2000 को की गई थी। इस समूह को शुरुआत करने में उरांव समाज के युवा साथी जैसे सुमित बरहा, किशन बरहा, बिक्रम खलखो, ईशु टोप्पो, बिष्णु मिंज, पंकज खलखो, बबलू कुजूर, राजेश खलखो, रोहित लकड़ा एवं सुबीर लकड़ा का मुख्य रूप से योगदान रहा है। वर्तमान इस ग्रुप में कम से कम 250 से 300 रक्तदाता है, जो 24 घंटे इस सेवा के लिए प्रयासरत रहते है। इस ग्रुप के द्वारा अबतक 800 से अधिक जरूरतमंदो को रक्त की व्यवस्था कर जान बचाने की कार्य की गई है। इस ग्रुप की खासियत की चर्चा की जाय तो झारखंड कि राजधानी राँची (रिम्स सहित विभिन्न अस्पतालों में) के अलावे महानगर जमशेदपुर, चक्रधरपुर में भी किसी जरूरतमंद को रक्त की आवश्यकता होती है तो आदिवासी उरांव समाज संघ के सहयोग से रक्तदाता स्थल पर पहुंचकर सेवा देने का कार्य करते आ रही है। इस क्रम में प्रत्येक वर्ष आदिवासी उरांव समाज संघ, चाईबासा की ओर से उरांव समाज की स्थापना दिवस 30 जून को समाज के द्वारा ग्रुप के सभी रक्तदाताओं को सम्मानित किया जाता है। श्री कुजूर आगे संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में जो ग्रुप के सदस्य जुड़े हैं, वह पर्याप्त नहीं है। हमें चाहिए की और भी युवाओं को इस तरह के कार्य में जुड़ना चाहिए। मैं आप सभी ग्रुप के सम्मानित सदस्यों से अपील करना चाहूंगा कि आप अपने-अपने साथियों को इस ग्रुप में जोडे और उनको प्रेरित करें रक्तदान करने हेतु, ताकि हम सभी मिलकर मरीज को होने वाली रक्त की कमी से बचाए। हम सभी जानते हैं कि रक्त का कोई विकल्प है ही नहीं, रक्त बाजार में बिकता नहीं है, एक मनुष्य ही दूसरे मनुष्य को दे सकता है। रक्त को ही ऊपर वाले ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है जो कि धर्म, जाति, समाज से ऊपर उठकर इंसानियत हेतु कार्य को कर सकते हैं, और इससे लेने वाले से ज्यादा देने वालों को ही शारीरिक रूप से फायदा होता है। आज के इस बैठक में मुख्य रूप से ग्रुप के सक्रिय सदस्यों में शम्भू टोप्पो, सीताराम मुण्डा, राजु तिग्गा, चमरू लकड़ा, खुदिया कुजूर, राजेन्द्र कच्छप, दुर्गा कुजूर, कृष्णा तिग्गा, जगरनाथ लकड़ा, बंधन खलखो, जगरनाथ टोप्पो आदि उपस्थित थे l