हैरानी की बात, स्वच्छता रैंकिंग में तो ग्रेट वन, फिर भी प्रयागराज की आधी आबादी सीवेज सिस्टम से है वंचित
प्रयागराज। शहर कुछ वर्ष पूर्व ही ओडीएफ प्लस प्लस घोषित हो चुका है। इस बार की स्वच्छता रैंकिंग के स्टार रेटिंग में ग्रेड वन मिला है। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सीमा विस्तार से पहले शहर की करीब 10 प्रतिशत आबादी बिना सीवेज सिस्टम के रह रही थी। सीमा विस्तार होने के बाद करीब 40 से 50 प्रतिशत आबादी इससे वंचित है। नाले, नालियों में गंदगी बह रही है।
सीवर लाइनों को नाले से जोड़ने के बाद भी समस्या
शहर के सीवेज सिस्टम को बेहतर करने के लिए करीब एक दशक में अरबों रुपये खर्च हुए। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा ज्यादातर स्थानों पर सीवर लाइनों को नाले में जोड़ दिया गया। इसकी वजह से अक्सर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। कहीं सीवर लाइन बैक फ्लो होने से घरों में गंदा पानी भर जाता है तो कहीं नाले ओवरफ्लो होने से सड़कों एवं गलियों में गंदगी आ जाती है। सेफ्टिक टैंकों की सफाई के बाद जलकल विभाग के कर्मचारियों द्वारा मल को कछारी क्षेत्रों में बहाया जाता है। कई बाजारों में नगर निगम द्वारा शौचालयों का प्रबंध न किए जाने से लोग खुले में पेशाब करने के लिए मजबूर होते हैं।
ये हैं स्वच्छता के मानक
-सीवेज का निस्तारण सुरक्षित और बेहतर प्रबंधन के साथ हो।
-सभी सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय हमेशा खुले रहें और क्रियाशील रहें।
-किसी स्थान पर कोई भी व्यक्ति खुले में शौच व लघुशंका करते न पाया जाए।
-मानव मल और सीवेज किसी नाली, नाले अथवा खुले में प्रवाहित व डंप नहीं किया जाता हो।
आवेदन के समय इन शर्तों का पालन अनिवार्य
-ओडीएफ प्लस प्लस के लिए आवेदन करने के लिए सभी शौचालयों का सीवेज नेटवर्क होना जरूरी है। इसका घोषणा पत्र देना होता है।
-घोषणा पत्र देना होता है कि कहीं भी बिना उपचार किया हुआ मल खुले में नहीं जाता।
-आपरेटरों से यह लिखाना होता है कि घरों अथवा शौचालयों के मल को मशीन से खाली करने का काम किया जाता है। उस मल को एसटीपी में भेजा जाता है।
जानें, प्रयागराज में क्या है तैयारी
-राजापुर एसटीपी की क्षमता 60 से बढ़ाकर 153 एमएलडी किया जाना।
-बक्शी बांधी एसटीपी की भी क्षमता वर्धन करके 43 से 83 एमएमडी किया जाना।
-नैनी और झूंसी क्षेत्रों में सीवर लाइन बिछाने के लिए सर्वे।