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हमारी संस्कृति में अन्न की पूजा होती है, फिर भी लोग भोजन का अपमान कर रहे हैं: लक्ष्मी सिन्हा

बिहार पटना । राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं, रोटी, कपड़ा और मकान। रोटी का आशय भोजन है। धरती पर जन्म लिए सभी जीवो के लिए भोजन सबसे प्रमुख आवश्यकता हैं। सभी जीवो को भोजन प्रकृति से प्राप्त होता है। चाहे वह अनाज, फल, सब्जी और दूध हो। इसीलिए हमें भोजन का सम्मान करना चाहिए, उसे बर्बाद कर अपमान नहीं करना चाहिए। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि सभी जीव अपनी आवश्यकता अनुसार ही भोजन ग्रहण करता है, एकमात्र मनुष्य ही भोजन बर्बाद करता है। एक ओर पूरी दुनिया में भूखमरी और कुपोषण की समस्या है, तो दूसरी ओर विश्व में 17 प्रतिशत भोजन घरों, रेस्तरां और दुकानों में बर्बाद चला जाता है। देश में सबसे अधिक भोजन रसोईघर और थाली में बर्बाद हो जाती है। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने आगे कहा कि आम भारतीय घरों में एक-एक सदस्य साल भर में 50 किलो लगभग खाना बर्बाद कर देते हैं, जबकि देश की एक बड़ी आबादी आधा पेट भोजन को विवश है। देश में विवाह समारोह एवं अन्य आयोजनों में बड़े पैमाने पर भोजन की बर्बादी होती है। भोजन की बर्बादी जलवायु परिवर्तन एक बड़ा कारण है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का आठ से दस प्रतिशत भोजन की बर्बादी से जुड़ा हुआ है। हमारी संस्कृति में अन्न की पूजा होती है, फिर भी लोग भोजन का अपमान कर रहे हैं। स्कूल के पाठ्यक्रम मैं इस गंभीर विषय को शामिल करना चाहिए। भोजन का सम्मान कर हम पर्यावरण की रक्षा, पैसों की बचत एवं गरीबों की मदद एक साथ कर सकते हैं। हमें इस गंभीर मुद्दों पर विचार विमर्श करने की आवश्यकता है किसान दिन-रात कड़ी मेहनत कर अनाज को हम सभी के लिए उपजात है और हम सब अनाज को बर्बाद करते हैं आखिर क्यो? अनाज की बर्बादी अन्नपूर्णा का अपमान है। थाली में भोजन उतना ही ले जितना हम खा सकें।

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