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धीरेंद्र शास्त्री के संघर्षों पर बन रही बायोपिक ‘द बागेश्वर सरकार’, 2024 में होगी रिलीज

राजेश कुमार झा
नई दिल्ली । बागेश्वर महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर एक बायोपिक बन रही है। द बागेश्वर सरकार नाम की इस फिल्म के निर्देशक विनोद तिवारी हैं। फिल्म की स्क्रिप्ट करीब-करीब पूरी हो चुकी है और जल्द ही इसकी शूटिंग शुरू हो जाएगी। शूटिंग मध्य प्रदेश के छतरपुर और भोपाल के अलावा लंदन में होगी।

 

हाइलाइट्स

विनोद तिवारी बना रहे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन पर फिल्म

द बागेश्वर सरकार नाम की फिल्म में दिखेगा धीरेंद्र शास्त्री के जीवन का संघर्ष

भोपाल, छतरपुर और लंदन में होगी फिल्म की शूटिंग

छतरपुरः मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव का गरीब बच्चा 27 साल की उम्र में पूरे देश में मशहूर हो गया। जिसके घर में दो जूम की रोटी के लिए लाले थे, वह हिंदू राष्ट्र का पोस्टर ब्वॉय बन गया। राजनेताओं से लेकर बड़े-बड़े सेलेब्रिटी तक उसके भक्तों में शामिल हैं। यह सुनने में भले कोई चमत्कार लगता हो, लेकिन सच्चाई है। यह बागेश्वर धाम के सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सच्ची कहानी है। अब उनके जीवन के संघर्षों पर आधारित एक फिल्म बन रही है। द बागेश्वर सरकार नाम की इस फिल्म के निर्देशक विनोद तिवारी हैं। फिल्म अगले साल पूरी दुनिया में रिलीज होगी।

दिखेगा जीवन का संघर्ष

यह फिल्म धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के संघर्षों पर आधारित है। एक गरीब परिवार का बच्चा कैसे पूरी दुनिया के लिए गुरुदेव बन गया, फिल्म में इसे दिखाया जाएगा। खास बात यह कि फिल्म की स्क्रिप्ट से लेकर कास्ट और रिलीज की तारीख तक, सब कुछ खुद धीरेंद्र शास्त्री ही तय करेंगे।

छतरपुर, भोपाल और लंदन में होगी शूटिंग

फिल्म की ज्यादातर शूटिंग छतरपुर और भोपाल में होगी। इसके कुछ हिस्से लंदन में भी शूट किए जाएंगे। धीरेंद्र शास्त्री के कहने पर फिल्म पर काम शुरू हो चुका है। शूटिंग की शुरुआत भी उनका निर्देश मिलने के बाद ही होगी। फिल्म में बागेश्वर सरकार खुद नहीं दिखेंगे, लेकिन उनके जीवन के तमाम पहलुओं को इसमें दिखाया जाएगा।

विनोद तिवारी हैं निर्देशक

फिल्म के निर्देशक विनोद तिवारी इससे पहले तीन फिल्में बना चुके हैं। उनका कहना है कि यह फिल्म उन लोगों के लिए होगी जो अपने धर्म के प्रति समर्पित हैं। वे फिल्म को लेकर संभावित विवाद के लिए चिंतित नहीं हैं। उनका कहना है कि यदि कोई धर्म के बारे में जानकारी दे रहा है तो इसमें गलत क्या है। वे इसे प्रोपगेंडा भी नहीं मानत। तिवारी कहते हैं कि अगर धर्म और धार्मिक ग्रंथों ककी बात ककरना प्रोपगेंडा है तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।

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