स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को भारतीय सभ्यता और संस्कृति की शिक्षा नहीं दी जा रही है : शिवपूजन सिंह
जमशेदपुर। हिंदी में लिखे गए ग्रंथों को समझने वाले लोग नाममात्र के बच जाएंगे फिर सभी ग्रंथों का अनुवाद अंग्रेजी में करना होगा। जैसे संस्कृत भाषा का लोप होने से सभी ग्रंथों का अनुवाद हिन्दी में करना पड़ा। आज स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को नैतिक शिक्षा भारतीय संस्कृति और सभ्यता की शिक्षा नहीं दी जा रही है संयुक्त परिवार टूटने से बुजुर्ग अपने घरों में बच्चों को संस्कार देने से बचित रह जाते हैं सरकार चिहे जितना भी कठोर से कठोर कानून बना ले जबतक बच्चों में संस्कार की भावना नहीं आयेगी तबतक समाज में होनेवाला भ्रष्टाचार अपहरण बलात्कार आत्म हत्या चोरी घुसखोरी जैसा जघन्य अपराध का अन्त नहीं होगा इसलिए सिंहभूम केन्द्रिय वरिष्ठ नागरिक समिति जमशेदपुर ने एक योजना बनाई है कि जिला प्रशासन से बातकर सभी वरिष्ठ नागरिक अपने निकटतम संस्थान में सप्ताह में एक एक दिन समय देकर बच्चों को निशुल्क नैतिक शिक्षा देंगे क्योंकि यह राजनीतिक पार्टियो की सोच की बात नहीं है सरकार सिर्फ मुसलमानों की बढ़ती संख्या और बढ़ती अंग्रेजी शिक्षा पर प्रतिबंध लगाये।।देश चार सौ साल युगलों का और दो सौ साल अंग्रेजों का गुलाम रहा कुछ देश भक्तों के कुर्बानी से 1947 में देश आजाद हुआ लेकिन दुर्भाग्य की बात कि उसके बदले देश के एक हिस्से को काटकर मुगलों को पाकिस्तान देना पड़ा फिर भी देश में मुसलमान रह ही गये और वे भारत के नागरिक बन गये है आज देश में मुसलमानो की बढ़ती जनसंख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2050 तक मुसलमानों की संख्या हिन्दुओं के बराबर हो जायेगी उस दिन हम किस प्रजातंत्र की कल्पना करेंगे उस दिन मुगलों का शासन होगा। हम लाख चाहकर भी भारत को हिन्दू राज्य घोषित नहीं कर पाते हैं और वह एक दिन में मुस्लिम राष्ट्र घोषित करेगा हम एक बाबरी मस्जिद को राम मंदिर बनाने में 30 साल गुजर दिया। वह एक दिन में मन्दिर को मस्जिद में कन्वर्ट करेगा। हम आज तक मुगलों के नाम पर बने शहरों और इमारतों का नाम नहीं बदल पाये वह एक दिन में हिन्दू इमारतों और शहरों का नाम बदलेगा। 1880 ई0 में शिक्षाविद् डॉ मैकले ने जो सपना देखा था कि भारत में अंग्रेजी शिक्षा का बढावा दिया जाय तो भारत भले ही आजाद हो जायेगा लेकिन वह हमारी भाषा संस्कृति और वेश भूषा का आजीवन गुलाम बन जायेगा जो अझरश सत्य हो रहा है आज शहरों से गांवों तक रोज इंग्लिश मीडियम स्कूल खुलते जा रहा है अगर भारत में शिक्षा का यही रवैया रहा तो 2050 तक।