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सूर्यमंदिर परिसर में संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग में आनंदित हुए श्रोता, शिव बारात में जमकर नाचे श्रद्धालु

जमशेदपुर। सिदगोड़ा सूर्य मंदिर कमिटी द्वारा श्रीराम मंदिर स्थापना के तृतीय वर्षगांठ के अवसर पर सात दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के द्वितीय दिन कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया गया। पूजन पश्चात श्री अयोध्याधाम से पधारे मर्मज्ञ कथा वाचिका पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात कथा व्यास साध्वी डॉ विश्वेश्वरी देवी जी ने श्रीराम कथा के द्वितीय दिन शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का सुंदर वर्णन किया।

व्यास पूज्य पंडित गौरांगी गौरी जी ने शिव-पार्वती विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह दिव्य है। माता पार्वती की कठिन तपस्या का परिणाम है कि भगवान शिव ने अपनी शक्ति के रूप में चयन किया। शिव पार्वती के विवाह की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर हिमाचल पहुंचे तो माता पार्वती के माता पिता बारात में सम्मिलित भूत, प्रेत औघड़ को देखकर अचंभित रह गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया।

कथा मर्मज्ञ पंडित गौरांगी गौरी ने बताया कि माता पार्वती के विवाह में उनकी तरफ से उच्च कुलों के राजा-महाराजा शामिल हुए, लेकिन शिव जी की ओर से कोई रिश्तेदार नहीं पहुंचा था, श्री राम कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष भगवान शिव और पार्वती विवाह का रोचक प्रसंग का व्याख्यान करते हुए पूज्य गौरी जी ने कहा कि शिव दुनिया के सबसे तेजस्वी थे। वे पार्वती को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले थे। भगवान शिव एवं पार्वती की शादी में सभी देवी देवता और असुर भी वहां पहुंचे। जानवर, कीड़े-मकोड़े और सारे जीव उनके विवाह में उपस्थित हुए। यहां तक कि भूत-पिशाच, प्रेत भी उनके विवाह में बाराती बनकर पहुंचे। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की झांकी सजाई गई। विवाह प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए।

कथा में आगे वर्णन करते हुए पूज्य गौरंगी गौरी जी ने कहा कि धर्म में भगवान शिव को देवों का देव महादेव माना जाता है । जब सृष्टि की संरचना हुई तो देवों के देव महादेव उसके पहले से उपस्थित थे। भारतीय संस्कृति में शिव के अर्धनारीश्वर रूप का भी उल्लेख है। जब शिव की पूजा की जाती है तो जीवन में सुख अनुभूति होती है। सारे क्लेश मिट जाते हैं। लोगों का आपसी द्वंद्व लड़ाई समाप्त हो जाता है और इसीलिए विवाह रूपी बंधन के सबसे उत्तम उदाहरण शिव और पार्वती है।

कल राम कथा के तृतीय दिवस में श्रद्धा और उत्साह के साथ भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा दोपहर 3:30 बजे से प्रारंभ होती है।

कथा के दौरान सूर्य मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह, पूर्व विधायक मेनका सरदार, देवेंद्र सिंह, अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह,, कमलकिशोर अग्रवाल, शशि शेखर, अजय गुप्ता, गणेश मंडल, शशि शेखर, मनीष सिंह, महेंद्र यादव, ओम पांडेय, लक्ष्मण पांडेय, अर्चना सिंह, अमरजीत सिंह राजा, संतोष यादव, शशिकांत सिंह, महामंत्री अखिलेश चौधरी, रूबी झा, कृष्ण मोहन सिंह, बंटी अग्रवाल, कंचन दत्ता, अधेन्दू बनर्जी, लक्ष्मीकांत सिंह, प्रेम झा, प्रमोद मिश्रा एवं तृतीय वर्षगांठ आयोजन समिति के संयोजक गुंजन यादव, दिनेश कुमार, राकेश सिंह, कुलवंत सिंह बंटी, कमलेश साहू, महेंद्र यादव, संजीव सिंह, कल्याणी शरण, संतोष ठाकुर, दीपक झा, कुमार अभिषेक, सतवीर सिंह सोमू, रॉकी सिंह, चंचल भाटिया समेत अन्य उपस्थित थे।

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