सरकारी ज़मीनों पर भूमि- माफियाओं का कब्ज़ा , प्रशासन मौन , प्रशासन की चुप्पी से ग्रामीणों में रोष;टाइगर मुर्मू
पुर्वी सिंहभूम के मानगो अंचल अंतर्गत देवघर पंचायत क्षेत्रों में भुमि- माफियाओं का हौसला बुलंद हैं | जहां सरकारी ज़मीन दिखती है उसपर कब्जा कर बैठ जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में भुमि – माफियाओं के खिलाफ़ शिकायती आवेदन पत्र संबंधित अधिकारियों के पास पहुंच चुका है| शिकायती आवेदन पत्र में कहा गया है कि मानगो अंचल के मौजा देवघर में राष्ट्रीय राजमार्ग -18 ( पहले 33 था) के किनारे स्थित सरकारी ज़मीन खाता संख्या 202 ,खेसरा संख्या 1083 ( 33 डिसमिल),1108 (1 एकड़ 1 डिसमिल) और 1111 (1 एकड़ 82 डिसमिल) को भुमि- माफियाओं ने बेच दिया है | खेसरा संख्या 1083 पर पहले स्वर्गीय दीना सोरेन का मकान था तथा खेसरा संख्या 1111 पर राम मुर्मू एवं उनके पुर्वजों का दखल था जिसपर वे लोग वर्षों खेती-बाड़ी करते आ रहे थे , लेकिन संग्राम मांझी (सोरेन) पिता स्वर्गीय कंचन मांझी (ग्राम देवघर) ने अपने प्रभाव का उपयोग कर खेसरा संख्या 1083 और 1111 को अपने नाम पर बंदोबस्ती करवाया और उनके पुत्र विद्वान सोरेन ने दबंग भुमि -माफियाओं के साथ मिलकर दोनों भुखंडो को बेच दिया | भुमि-माफियाओं ने स्वर्गीय दीना सोरेन के धर्म पत्नी एवं उनके पुत्र उडगा सोरेन को डरा- धमकाकर ज़मीन ख़ाली करने को मजबूर कर दिया लेकिन राम मुर्मू और उनका भतीजा टाईगर मुर्मू ने भुमि-माफियाओं के खिलाफ़ आवाज़ उठाई और प्रशासन से गुहार लगाई है।
भुमि-माफियाओं ने खेसरा संख्या 1108 और 1111 को फ्लाई- ऐश से समतल कर कुछ हिस्सा में “बजरंग ट्रांसपोर्ट” नाम से व्यावसायिक गाड़ियों का पार्किंग बनाया है तथा कुछ हिस्से को प्लॉटिंग कर बेच दिया और इससे होकर आने-जाने वाली रास्ता को भी बंद कर दिया| फ्लाई ऐश के फैलाव एवं बहाव से आसपास के धान की फसलें बर्बाद हो रहें हैं तथा कृषि भूमि भी बंजर में तब्दील हो रहे हैं | खेसरा संख्या 1083 में “प्रधान होटल” बनाया गया है।
भुमि -माफियाओं के खिलाफ़ शिक़ायत दर्ज करने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है , जिससे ग्रामीणों में रोष है|
ग्रामीणों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन बंदोबस्ती एवं सरकारी ज़मीन बेचने के जुर्म में संग्राम मांझी एवं अन्य भुमि-माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करती है तो इसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से करेंगे तथा फ्लाई ऐश के फैलाव एवं बहाव से धान के फसलों की क्षतिपूर्ति की मांग भी करेंगे।