श्रीनाथ विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में पथ के कलाकारों ने किया वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक पागल जी की नाटक कैनवस की मौत का मंचन
जमशेदपुर: रांची और झारखंड के वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक पागल जी को आदरांजली देते हुए श्रद्धांजलि स्वरूप नाटक कैनवस की मौत काम मंचन पथ के कलाकारों ने श्रीनाथ विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में सफलतापूर्वक किया। कार्यक्रम के शुरुआत में सबसे पहले श्री अशोक पागल जी की जीवनी के साथ मो निजाम ने कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ रंगकर्मी शिवलाल सागर ने अशोक पागल जी के रंगकर्म के बारे में अपनी बातें की। छवि दास ने श्री अशोक पागल जी से अपनी मुलाकात का संस्मरण बताया। जिसके पश्चात उनके जीवन से संबंधित एक वृत्त चित्र दिखाया गया तथा उनके द्वारा लिखित नाटक कैनवस की मौत का जमशेदपुर के अलग-अलग नाट्य संस्थाओं से आए हुए 350 सदस्यों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक किया गया। नाटक का कथासार और भूमिका है इस प्रकार है। चिर पुरातन, चिर नूतन एवं शाश्वत कथानक “प्रेम मिलन बिछोह” के माध्यम से विभिन्न सामाजिक समस्याओं से लेकर आध्यात्मिक चिंतन दर्शन तक की बातें कही गई है। इसी कथानक के माध्यम से “भाग्य प्रबल्य” की मान्यता को पुष्टि किया गया है। साथ ही दुखांत की परंपरागत मान्यता को नकारते हुए एक नया सोच और साहित्यिक बहस का एक मुद्दा रखा गया है।
स्वर्गीय अशोक पागल जी के नाटक आज के रंगकर्म की चुनौतियां को स्वीकार करते हुए चिरंतन प्रश्नों की सामयिक व्याख्या सामने लाते हैं। नाट्य लेखन, निर्देशन और अभिनय के काम के सिलसिले में पिछले पांच दशकों में अपनी सक्रियता से रंगमंच को समृद्ध करने वाले रंग अशोक पागल जी के नाटक कैनवस की मौत की प्रस्तुति जमशेदपुर के नाट्य संस्था पथ द्वारा किया गया जिसमें मुख्य भूमिका में आमिर अरशद और नेहा तमांग थे। सह कलाकारों में रूपेश कुमार, सबा शेख, दीपेश राजपूत, विवेक विशाल आदि थे। साथ ही खुर्शीद , सुरु , मार्टिन , आशुतोष, आशीष, सुषमा, सुमन सौरव, राजेश दास, रूपेश, रामदेव, मोहित, रोहित, अभिषेक, सत्यम, रौशन, आरती, लक्ष्मी, शैलेंद्र, नताशा,नव्या, त्रिवेणी आदि ने पार्श्व से नाटक में अपना श्रेय दिया।