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वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान को कभी भुलाया नही जा सकता : विजय गोंड

जमशेदपुर। भारत की महानतम वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का नाम सबसे पहले याद किया जाता है। इन्होंने मातृभूमि और अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। कालिंजर के राजा कीरत सिंह की पुत्री और गोंड राजा दलपत शाह की पत्नी रानी दुर्गावती का नाम इतिहास के पन्नों में महानतम वीरांगनाओं की अग्रिम पंक्ति में दर्ज किया जाता है,
गोंडवाना की रानी दुर्गावती ने अपने आखिरी दम तक मुगल सेना से युद्ध लड़ा और अपने राज्य पर कब्जा करने के मुगल शासक अकबर के इरादे को कभी भी पूरा नहीं करने दिया। रानी दुर्गावती का जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन 24 जून को 1524 को बांदा जिले में हुआ। वह कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीर्तिसिंह चंदेल की इकलौती संतान थी। यह कार्यक्रम आदिवासी गोंड समाज समिति की अध्यक्ष

विश्वकर्मा प्रसाद और कार्यकारी अध्यक्ष विजय गोंड की नेतृत्व में संपन्न हुआ। इस अवसर पर आदिवासी गोंड समाज के लोग काफी संख्या में मौजूद थे। इसमें मुख्य रूप से श्रीकांत प्रसाद, धरमचंद प्रसाद , बीरेंद्र प्रसाद,अखिलेश प्रसाद, दलजीत प्रसाद, लोचन प्रसाद,परमानंद प्रसाद , सत्यनारायण साह गोंड, विश्वनाथ प्रसाद, राम ईश्वर प्रसाद, मनोज कुमार, रमेश प्रसाद मुख्य रुप से मौजूद थे।

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