FeaturedJamshedpurJharkhandNational

धर्म मानव जीवन की एक मूल्यवान संपदा है : आचार्य संपूर्णानंद

जमशेदपुर : आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में,आनंद मार्ग जागृति गदरा के प्रांगण में 13 फरवरी को त्रिदिवसीय सेमिनार के तीसरे एवं अंतिम दिन सेमिनार में उपस्थित साधक साधिकाओं को संबोधित करते हुए केन्द्रीय प्रशिक्षक आचार्य संपूर्णानंद अवधूत ने कहा कि धर्म मानव जीवन की एक मूल्यवान संपदा है। धर्म मनुष्य को मुकुट मणि के रूप में प्रतिष्ठित करता है। धर्म के बिना सृष्टि के मर्म को समझना दुरूह कार्य है। धर्म भाव में प्रतिष्ठित करना धर्मशास्त्र का उद्देश्य है। मनुष्य की अंतः स्थल में प्रसुप्त धर्म बोध को सहज तौर पर जगाने के लिए आध्यात्मिक साधना करना अत्यावश्यक है। आहार, निद्रा, भय, मैथुन यह जैव धर्म है। भागवत धर्म (मानव धर्म)का तात्पर्य है धृति, क्षमा, दमो, अस्तेय, शौच, इंद्रिय ,निग्रह, धी, विद्या, सत्य और अक्रोध जैसे लक्षणों को जागृत करना। आचार्य जी ने कहा कि धर्मशास्त्र को गंभीर सत्य में प्रतिष्ठित होना होगा। धर्म भाव में प्रतिष्ठित करना ही धर्म शास्त्र का उद्देश्य है। भक्त भेदभाव की भावना से सदैव दूर रहता है।ईश्वर को पाने के लिए वैराग्य की जरूरत है। पुरुष (परमात्मा ) को पाने के लिए निस्वार्थ प्रेम का होना अति अनिवार्य तत्व है। ज्ञान ,कर्म और भक्ति के सुंदर समन्वय से ही आत्म साक्षात्कार संभव है। साधक को हर प्रकार की संकीर्णता, हीनमान्यता के विरुद्ध सोच विचार कर संग्राम करना ही होगा। जातिभेद से ऊपर उठना साधक के लिए प्रारंभिक कार्य है। निराकार ब्रह्म ही जीव का ध्येय है। रागात्मिका भक्ति सभी भक्ति से श्रेष्ठकर है।

सेमिनार के दौरान कीर्तन शोभायात्रा भी निकाली गई। सदस्यगण हाथ में झंडा, संदेश लिखा हुआ तख्ती लेकर कार्मिक नगर होते हुए पूरा गदरा में मानव मानव एक है, मानव का धर्म एक है। एक चूल्हा एक चौका, एक है मानव समाज।। जाति पाति कि करो विदाई। मानव
मानव भाई भाई। दुनिया के नैतिकवादियों एक हो के नारों से गूंज उठा।

इस अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में गुरु सकाश, पाञ्चजन्य , योगाभ्यास एवं सामूहिक साधना का आयोजन किया गया। अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र “बाबा नाम
केवलम्” का गायन प्रभात फेरी के दौरान किया गया।

Related Articles

Back to top button