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भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा राज्य में पुलिसिया कार्रवाई केवल गरीबों और आम जनता पर, खास लोगों पर मेहरबानी क्यों ?

सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर रहम और आम जनता पर सितम ठीक नहीं, क़ानून की खाई मिटनी चाहिए : कुणाल षाड़ंगी

राज्य में लाखों की संख्या में बढ़े लॉकडाउन उल्लंघन के केस पर भी भाजपा ने जताई चिंता, सरकार से समीक्षा का आग्रह

चतरा में सेना के जवान को मास्क नहीं पहनने पर झारखंड पुलिस द्वारा पीटे जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आक्रमक अंदाज़ में इस मामले की आलोचना की है। इसके साथ ही झारखंड प्रदेश भाजपा ने राज्य सरकार पर लॉकडाउन उल्लंघन के केस में गरीबों पर अत्याचार और दमनकारी कार्रवाई को लेकर हेमंत सरकार पर बड़ा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार लॉकडाउन उल्लंघन के मामलों में भेदभावपूर्ण कार्रवाई कर रही है। गरीबों और आम जनता पर पुलिसिया कार्रवाई की चाबुक चल रही है, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े माननीयों और नेताओं को राहत दी जा रही है। इस पुलिसिया विभेद को भाजपा प्रवक्ता ने रूल ऑफ लॉ के विपरीत बताया। कहा कि आये दिन सूबे के विभिन्न जिलों में कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन कराने को लेकर पुलिस-प्रशासन की सख़्ती की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती है। छोटे दुकानदारों, होटल उद्योगों की सीलिंग तक कर दी जाती है। वहीं मास्क न होने पर त्वरित फाइन और केस किये जाते हैं। लेकिन ऐसी कार्रवाई केवल सेलेक्टिव क्यों ? भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि झारखंड सरकार के लिए यह शर्म का विषय होनी चाहिए कि भारतीय सेना के जवान को महज मास्क न पहनने के लिए राज्य की पुलिस ने पीटा है। कुणाल षाड़ंगी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से तीखा सवाल करते हुए पूछा कि जिस प्रकार मास्क नहीं पहनने पर सेना के जवान को पीटा गया, क्या वैसी हिम्मत सत्तारूढ़ दल के माननीय विधायकों, मंत्री या नेताओं को पीटने में दिखा पायेगी झारखंड पुलिस ? भाजपा ने कहा कि क़ानून सभी के लिए बराबर रहे। चंद लोगों को राहत और आम लोगों पर कार्रवाई की परंपरा गलत है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं पर रहम और गरीबों, आम जनता पर सितम की कार्यसंस्कृति में सुधार जरूरी है। हर हाल में क़ानून की खाई मिटनी चाहिये। भाजपा प्रवक्ता ने राज्यभर में लाखों की तादाद में लॉकडाउन उल्लंघन के केसों की संख्या पर भी चिंता जताया है। कहा कि इतने तादाद में केसों से न्यायालय पर अनावश्यक दबाव बढ़े हैं और पुलिस विभाग पर भी अतिरिक्त वर्कलोड बढ़े हैं। वहीं बड़ी संख्या में गरीब एवं आम जनता कोर्ट, कचहरी और थानों के चक्कर लगाने को मज़बूर हुई है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि क़ानून की मंशा लोगों को अनुशासन में रखने की है, प्रताड़ित करना उद्देश्य ना रहे। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने लाखों लॉकडाउन उल्लंघन के केसों पर राज्य सरकार से समीक्षा करने का आग्रह किया है ताकि कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर की तैयारियों में संसाधनों का उचित उपयोग हो सके।

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