बिहार में बढ़ते अपराध से आम जन दहशत में है: रालोजपा
बिहार । पटना राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ डॉ. स्मिता शर्मा एवं प्रदेश संगठन सचिव सह प्रदेश मीडिया प्रभारी महिला प्रकोष्ठ लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि पत्रकार विमल यादव की हत्या लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले पत्रकार की हत्या से कानून- व्यवस्था की स्थिति का सहज आकलन किया जा सकता है आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा अपराधियों के बीच पुलिस का भय समाप्त हो गया है इस हत्याकांड को दूस्साहसिक कृत्य बताते हुए कहा कि अपराधियों के आगे सरकार घुटने टेक चुकी है।
श्रीमती डॉ. स्मिता शर्मा ने कहा कि बिहार में अपराधी एवं माफिया तत्व जिस तरह जधन्य घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, उससे यदि कुछ स्पष्ट हो रहा है तो यही कि इस राज्य में कानून एवं व्यवस्था को खुली चुनौती दी जा रही है। अभी चंद दिन पहले पशु तस्करों ने एक दरोगा की गोली मारकर हत्या कर दी थी और अब अररिया में दैनिक जागरण के पत्रकार विमल कुमार यादव को अपराधियों ने उनके घर जाकर उन्हें गोलियों से भून दिया। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि यह एक विडंबना ही है की बिहार में अपराधी तत्वों की बढ़ती गतिविधियों के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कह रहे हैं कि विरोधी दलों के नेता कानून एवं व्यवस्था की खराब होती स्थिति को लेकर फर्जी दावे कर रहे हैं। उनका आकलन कुछ भी हो, गंभीर अपराध की बढ़ती घटनाएं कुछ और ही बयान कर रही है। बिहार में केवल पशु तस्करी में लिफ्ट माफिया ही बेलगाम नहीं है, बल्कि खनन माफिया के साथ-साथ शराब माफिया भी बेखौफ हैं। बिहार सरकार कुछ भी दावा करें, शराब माफिया ने शराबबंदी को पूरी तरह विफल कर दिया है। राज्य में अवैध
तरीके से शराब बिक्री का एक पूरा नेटवर्क बन गया है। एक तथ्व यह भी है कि बेलगाम अपराधी पुलिस को भी निशाना बना रहे हैं। हाल में बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक ने स्वीकार किया था कि पुलिस पर हमले के मामले बढ़े हैं। उन्होंने माना कि ये हमले
तब अधिक होते हैं जब पुलिस किसी बड़े अपराधी को पकड़ने जाती है या फिर शराब माफिया के खिलाफ छापेमारी होती है। आगे श्रीमती सिन्हा ने कहा कि एक समय था जब नितीश कुमार का शासन सुशासन के लिए जाना जाता था, लेकिन आज ऐसी स्थिति नहीं है। इसके पीछे के कारणों की न केवल पहचान करनी होगी, बल्कि उनका निवारण भी करना होगा। वास्तव में बिहार ही नहीं, अन्य अनेक राज्यों को भी कानून एवं व्यवस्था के प्रति और अधिक सजग- सक्रिय होना होगा। कानून एवं व्यवस्था पूरी तरह राज्यों का विषय है, इसलिए उसे ठीक रखना भी राज्य सरकारों का ही दायित्व है। बिहार समेत जिन भी राज्यों में अपराधी तत्व कानून एवं व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं, वहां के शासकों को यह समझना ही होगा कि जब ऐसा होता है तो आम लोग में असुरक्षा की भावना बढ़ती ही है, आर्थिक.प्रगति भी बाधित होती है।