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बाग में यदि कली ना होती…

ग़ज़ल

बाग में यदि कली नहीं होती
आज यह बेकली नहीं होती

मधुप ने यदि न छू लिया होता
डाल फुली फली नहीं होती

रूप को प्यार ही मिलता तो
कोई सूरत भली नहीं होती

प्रकृति पुरुष से दूर रहती तो
सिरषटि ऐसी चली नहीं होती

मात्र संकेत दे दिया होता तो
क्या मंजिल मिली नहीं होती

राह में आप अगर मिले होते तो
सिर्फ उनकी गली नहीं होती

बयाधि के साथ ही दवा चलती
तो पीर इतनी पली नहीं होती।

पुनम सिंह जमशेदपुर झारखंड

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