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बहरागोड़ा के ग्लोबस स्प्रिट फेक्ट्री में जहरीला पानी बहाना बंध नहीं होने से किसानों ने डॉ संजय गीरि को बुलाकर स्थाई समाधान निकालने के लिए रास्ता ढूंढा


बहरागोड़ा प्रखंड अंतर्गत हुदली, जयपूरा,मारागाड़िया, तुबलि समेत ग्लोबस स्पीट लिमिटेड कंपनी से सटा हुआ करीब 100 एकड़ खेत पर लगी धान के बिछड़े जल जाने से किसानों को लाखों की नुकसान झेलना पड़ रहा है. बीते एक हफ्ता पहले जमशेदपुर के उपायुक्त द्वारा टीम भेज कर ग्लोबस कंपनी तथा किसानों से मिलकर बात हुई थी।फिर जहरीला पानी का संपल तथा जले हुए धान के बिछड़े को लेबोटरी टेस्ट के लिए ले गये थे।लेकिन एक हफ्ता वाद को कोई टेस्ट रिपोर्ट नहीं आया तथा किसानों को मुआवजा भी नहीं मिला। ग्रामीणों ने कहा आज तक बहुत सारे जनप्रतिनिधि आये आंदोलन भी हुआ लेकिन कुछ स्थाई समाधान नहीं हुआ। कंपनी का मनोबल इतना बढ़ गया है कि ऊक्त तीन गांव में आज तक दुर्घन्द निकलना बंद नहीं हुआ है।बल्कि पहले से और बढ़ गया है।

बताया गया कि ग्लोबस कंपनी से इनदिनों जहरीला केमिकल निकलने पर खेती में लगाया गया धान का बिछड़ा जल गया है.किसानों जितेंद्र सिंह, अजय पाल, संजय पाल,डाकू महापात्र,अभिजित दास,ततन पाल,बादल महापात्रा, सुजीत पाल, पंकज पाल, असीम पाल,माणिक महापात्रा, अनिल महापात्रा आदि ने इसकी जानकारी संपूर्ण मानवता कल्याण संघ के अध्यक्ष डॉ संजय गिरी को दिया. उन्होंने किसानों के साथ खेत में जाकर निरीक्षण किये. किसानों ने कहा धान का बिछड़े तो जल गया साथी पानी भी जहरीला हो गया है .ऊक्त पानी में कोई भी महिला मजदूर उतारने के लिए तैयार नहीं है. कोई भी मजदूर अगर खेती के लिए पानी में उतर रहा है तो उसको बहुत जोर से खुजली हो रहा है. धान का बीछड़ा जल जाने से खेती में क्या रोपेंगे. तथा किस तरह से खेती करेंगे अगर खेती नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या यह चिंता की विषय है. ग्लोबस कंपनी हम लोगों को इसके लिए मुआबजा तय करें. इस अवसर पर किसानों को संबोधित करते हुए डॉ संजय गीरि ने कहा धान का कोटरा कहे जाने वाले इलाके में किसानों को जो परेशानी हुई है. सिर्फ मुआबजा देने से काम नहीं चलेगा. कंपनी को इसका स्थाई समाधान निकालना चाहिए. उसके बाद ही उद्योग को यहां चलने दिया जाएगा. हम उद्योग के खिलाफ नहीं है रोजगार मिल रही है या अच्छी बात है.लेकिन किसानों की अस्तित्व को खतरे में डालने पर इस उद्योग को चलने नहीं दिया जाएगा.डेमेज बहत ज्यादा हुआ है. बहत जल्द सभी ग्रामीणों के साथ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के बाद । बड़ी आंदोलन होगा। कंपनी के प्रतिनिधि को गांव में आकर किसानों से बातचीत करके मुआवजा तय करनी होगी.
अभी तक मुआबजा का भुगतान नहीं हुआ है। बीते एक हफ्ता पहले डॉक्टर संजय गिरी का पहल पर डीसी की टीम गांव पहुंचने के बाद ग्रामीणों से मिले फिर गंदा पानी का सम्पल लिया था। लेकिन एक हफ्ता भी जाने के बाद भी आज तक कोई पहल नहीं होने से किसानों में रेश है। किसानों के अस्तित्व के ऊपर खतरा उत्पन्न करने वाली कंपनी को नहीं चाहिए।

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