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जल,जंगल व जमीन के अस्तित्व मिटने नहीं देने का संकल्प; भगला सोरेन

कुलदीप चौधरी
झारखंड मे जल,जंगल, जमीन आंदोलन का पुनरावलोकन विषय में व्याख्यान कार्यक्रम

15 सितंबर को शहीद देवेंद्र माझी की जयंती जमशेदपुर में मनाने का निर्णय

जमशेदपुर – इंसानी पहल,एपीसीआर (मानवाधिकार संगठन,कोल्हान ),
अंबेडकर विचार मंच एवम झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में आज झारखंड मे जल,जंगल, जमीन आंदोलन का पुनरावलोकन विषय में व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन निर्मल भवन,सर्किट हाउस एरिया,बिष्टुपुर,जमशेदर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संयुक्त रूप से बिंदे सोरेन(माझी बाबा),पुष्कर महतो(पत्रकार) व सुशील रविदास ने किया।
मौके पर
जल,जंगल व जमीन के अस्तित्व मिटने नहीं देने का संकल्प लिया गया ।
मुख्य वक्ता साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित श्री. भगला सोरेन ने कहा कि जल,जंगल व जमीन झारखंड आंदोलन की लड़ाई का प्रमुख हिस्सा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोग अपने गावों को छोड़े नहीं,गांवों की खुशियों बनाए रखे। खेती बारी को करते रहे। अखड़ा संस्कृति से विमुख न हो।
स्तंभकार ड्रा अनुज कुमार लुगुन कार्यक्रम में अपनी कार्यस्थल में जरूरी कार्यभार रहने के कारण अनुपस्थित रह पाने का खेद प्रकट करते हुए एक लेख भेजें जिसे भाषण के रूप मे पाठ किया गैरल माझी महाल,जमशेदपुर के जोग माझी श्री. सावना मार्डी ने । डॉ.अनुज लुगुन ने सभ्यता के विकास के साथ ही विनाश व पतन हो रहा है। आदिवासियों व मूलवासियों का शोषण कर जल,जंगल व जमीन से बेदखल किया गया है। आज ऑनलाइन के माध्यम जमीनों को लुटा का रहा है। उपनिवेशवाद का खतरा मंडरा रहा है। हमें सावधान रहने की जरूरत है।
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता पुष्कर महतो ने कहा कि जल ,जंगल,जमीन की रक्षा से ही जीव जगत का अस्तित्व बचेगा। इसलिए अपने अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई स्वयं लड़ना होगा। आज मानव समाज का विकाश ही हमारा सर्वागिण विकाश संभव है।जल,जंगल व जमीन की रक्षा की वकालत करने वाले बिरसा मुंडा से लेकर फादर स्टेन स्टेन स्वामी की मौत जेलों में होना दुखद घटना। है।
कोल्हान विश्वविद्यालय के मंखगांव कॉलेज के प्राचार्या सह डीन डॉ.
बी. एन.प्रसाद ने कहा कि सी एन टी / एस पी टी एक्ट व फॉरेस्ट एक्ट को सख्ती से लागू करके जल,जंगल व जमीन को बचाया जाए। कारखाने स्थापित करने के मूल्यों का पालन नहीं होना दुखद है। आदिवासी – मूलवासी का उचित प्रतिनिधित्व देकर पर्यटन के क्षेत्र का विकास हो।
जनवादी लेखक सुजॉय राय को विशेष रूप से सम्मानित किया गया। अपने सम्मान के बाद कहा कि झारखंड के संघर्ष की गाथा जल,जंगल व जमीन से जुड़े है। शोषण व दमन के खिलाफ लंबी लड़ाई,हुल व
उलगुलान किए गए । आदिवासी मूलवासी समाज के लोग बिना भेदभाव किए उत्पीड़ितो के खिलाफ सजगता से आगे बढ़कर संघर्ष करना होगा।
मानव अधिकार कार्यकर्ता
सलीम अख्तर ने कहा कि विस्थापन के खिलाफ नीति बनाए जाए। कार्यक्रम का संचालन गौतम बॉस व धन्यवाद ज्ञापन विश्वजीत प्रमाणिक ने किया।
मौके पर कुमार चंद माडी,अंबिका यादव,ड्रा मुख्तार अहमद मकी,शंभू मुखी,धर्मराज हेमरोम, शंकर नायक,गोविंद हमरोम,धनु मुर्मू,श्यामली रॉय,सुनील विमल,उदय भानु,उमेश कुमार,ठाकुर मार्डी, बालेश्वर दास,हरी बल्लभ,रूपेश ठाकुर,बिमल बिस्वास, बासु सोरेन,दिलीप मुर्मू, जैसन मार्डी सहित अन्य उपस्थित थे।

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