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देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका विषय पर उत्प्रेरक कार्यक्रम


प्रेरणा बुड़ाकोटी / नई दिल्ली
स्त्री शक्ति संगठन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपल्क्ष में कार्यक्रम के तीसरे दिन देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका और विश्व में महिलाओं की स्थिति की विषय पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ संगठन की अध्यक्ष ममता शर्मा तथा सरस्वती वंदना पत्रकार एवं महिला प्रभारी प्रेरणा बुड़ाकोटी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का मंच संचालन प्रोफेसर अंजना गर्ग ने बहुत खूबसूरती के साथ किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ प्रतिभा गर्ग उपस्थिति रही। प्रोफेसर अंजना गर्ग और डॉ प्रतिभा गर्ग के बीच कार्यक्रम के विषय पर शानदार साक्षात्कार हुआ जोइस प्रकार हैं;
प्रश्न- प्रो अंजना गर्ग, देश के अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका क्या रही है?
उत्तर- डॉ प्रतिभा गर्ग, देश के अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका इतिहास से लेकर वर्तमान समय तक उत्क्रुष्ट योगदान की तरह रहा है। महिलाएं पुरुषों अधिक सकारात्मक, रचनात्मक और कार्य कौशल होती हैं। गरीबी और अशिक्षा ने महिलाओं की उन्नति में महत्वपूर्ण बाधाएँ खड़ी की हैं। परंतु आज की युग में अधिकतर महिलाएं शिक्षित हैं एवं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही है। महिलाएँ राष्ट्रीय विकास की दिशा में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। वे कृषि से लेकर विमान उड़ाने और यहाँ तक कि अंतरिक्ष में जाने तक, विविध क्षेत्रों में शामिल हैं। देश की प्रगति में महिलाओं का योगदान बहुत बड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएँ अब पंचायत सदस्य और ग्राम प्रधान जैसे प्रतिष्ठित पदों पर काम कर रही हैं। इस प्रकार आदर सम्मान सहयोग, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, कौशल विकास और बहुत सारे सरकारी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित करके, हम उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
प्रश्न,2- प्रो अंजना गर्ग, देश के अर्थव्यवस्था में योगदान देने के बावजूद भी महिलाएं क्यों पीछे रह जाती हैं?
उत्तर- डॉ प्रतिभा गर्ग, महिलाओं का पीछे रह जाने का कारण शिक्षा का अभाव, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के मुकाबले शहरी महिलाएं ज्यादा शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा से ज्यादा घर के कार्य को करने में महिलाओं को ज्यादा जोर दिया जाता है। या फिर उच्च शिक्षा की कमी होने के कारण महिलाओं को केवल घरेलू कार्यों मैं प्राथमिकता देने की परिभाषा समझाई जाती है जिस कारण देश में केवल 70% महिलाएं मेहनत तथा संघर्ष के साथ अपना योगदान देने में सक्षम है। वैश्विक स्तर पर महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है, फिर भी लैंगिक असमानताएँ बनी हुई हैं। महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और असमानता जैसे मुद्दे अभी भी व्याप्त हैं। इन सभी कारणों की वजह से शिक्षित होकर भी महिलाएं पीछे रह जाते हैं। सभी समस्याओं का मूल कारण अज्ञानता ही होती है। हमें अपने देश की शिक्षा व्यवस्था में भी बहुत सारे सुधार करने की आवश्यकता है। उसे और अधिक उपयोगी बनाने की आवश्यकता है जिससे नागरिकों के जीवन स्तर और आर्थिक स्तर में सुधार हो।
प्रश्न3- प्रो अंजना गर्ग, विश्व में महिलाओं की स्थिति क्या है?
उत्तर- डॉ प्रतिभा गर्ग, महिलाओं ने हमेशा पीढ़ियों की वंशावली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है; हालाँकि, प्राचीन समाजों से लेकर आधुनिक माने जाने वाले समाजों तक, उन्हें अक्सर हाशिए पर रखा गया है। ऐतिहासिक रूप से, उन्हें संसाधनों, अधिकारों और उन्नति के अवसरों तक न्यूनतम पहुँच प्रदान की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उनकी परिस्थितियाँ अत्यधिक वंचित बनी हुई हैं। महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए समय के साथ सरकार ने महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई कानून बनाए हैं। महिलाओं के लिए शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। महिला की सहमति के बिना विवाह पर रोक लगा दी गई है। तलाक को कानूनी मान्यता दे दी गई है। महिलाएं अब अपनी पसंद के किसी भी कौशल का प्रशिक्षण ले सकती हैं।हाल के दशकों में, दुनिया भर में महिलाओं की स्थिति में उल्लेखनीय प्रगति हुई है; हालाँकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों तक पहुँच के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना सर्वोपरि है। लैंगिक समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए समाज को महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क और संगठित होना चाहिए। महिलाओं की स्थिति में सुधार से न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि समाज की समग्र प्रगति और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम सामूहिक रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रयास करें और सुनिश्चित करें कि उन्हें समान अवसर प्रदान किए जाएँ।
प्रश्न 4- संगठन अध्यक्षा ममता शर्मा द्वारा, घर में महिलाएं घरेलू कर्मों में अपने दायित्व को निभा कर भी धन कमाने से वंचित है ऐसे में आपकी क्या राय है?
उत्तर- भारत में, बहुत सी महिलाएँ गृहिणी बनी हुई हैं, किसी औपचारिक रोज़गार में शामिल नहीं हैं। कुछ तो छोटी-मोटी गतिविधियाँ भी नहीं करतीं जो उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बना सकती हैं। आर्थिक रूप से, वे घर के पुरुषों पर पूरी तरह से निर्भर हैं, इस तथ्य के बावजूद कि उनका योगदान अक्सर पहचाने जाने से कहीं ज़्यादा होता है। कई मायनों में, वे अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ उठाती हैं, ख़ास तौर पर घर का प्रबंधन और बच्चों की देखभाल में – एक ऐसी भूमिका जिसके लिए बहुत धैर्य और संवेदनशीलता की ज़रूरत होती है। हालाँकि, इस अमूल्य कार्य से कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलता है, जिससे उन्हें पूरी तरह से स्वतंत्र से वंचित महसूस होता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं घरेलू कार्यों जैसे की सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, ब्यूटी पार्लर, ट्यूशन पढ़ना, डे केयर सेंटर, कुकिंग क्लासेस देना, शिक्षित महिलाएं अपने घर परिवार, पास पड़ोस, सखी सहेली, जरूरतमंद महिलाओं को शिक्षा देकर अपना आय स्त्रोत बना सकती हैं। आज के युग में ऑनलाइन कार्य भी उपलब्ध है जिनकी अच्छी ट्रेनिंग और जानकारी लेकर घर बैठकर बड़ी आसानी से महिलाएं कार्य करके पैसे कमा सकती हैं और आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
निष्कर्ष यह है कि देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका योगदान न केवल आर्थिक विकास को गति देता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी बढ़ावा देता है। महिलाओं को समान अवसर, शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करके, हम देश के समग्र आर्थिक परिदृश्य को बेहतर बना सकते हैं, जिससे अधिक सशक्त और समृद्ध समाज का मार्ग प्रशस्त होगा। इसलिए, यह जरूरी है कि हम महिलाओं के अमूल्य योगदान को स्वीकार करें और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध हों, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अर्थव्यवस्था और भी मजबूत हो और महिलाएं अपने सपनों को साकार कर सकें।
कार्यक्रम के अंत में मन संचालिका और मुख्य अतिथि ने सभी उपस्थित बहनों का धन्यवाद करते हुए उज्जवल भविष्य के कामना का आशीर्वाद देते हुए कुशलता पूर्वक कार्यक्रम को समापन किया।

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