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डीडी त्रिपाठी ने आर्टिकल 15 फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग किया

जमशेदपुर । सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डी डी त्रिपाठी ने आर्टिकल 15 फिल्म के प्रदर्शन पर अविलंब रोक लगाने और सूचना एवं प्रसारण मंत्री जिनके अंदर भारतीय सिनेमा उद्योग का सेंसर बोर्ड भी आता हैं के मंत्री अनुराग ठाकुर को मंत्री मंडल से तत्काल बर्खास्तगी की मांग की हैं । त्रिपाठी ने इस फिल्म का हवाला देते हुए कहा कि सेंसर बोर्ड की विफलता का ही परिणाम हैं कि अनादि भगवान श्री राम को आदि पुरुष बता कर चलचित्र में उनके चरित्र हनन और हिंदुत्व की मूल भावना पर प्रहार करने के लिए प्रस्तुत कर दिया जाता हैं । तो कभी जातीय घृणा और कुंठा का प्रयोगशाला बनाकर ब्राह्मणों के खिलाफ घृणा फैलाने का काम आर्टिकल 15 जैसी फिल्म के माध्यम से आसानी से कर दिया जाता हैं ।त्रिपाठी ने कहा कि यूपी के बदायूं की एक घटना में पिछड़े समाज की दो बेटियों से कुछ लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था ।और इसके बाद उनकी हत्या कर उन्हें पेड़ से लटका दिया था। इसी घटना की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म को साजिसन ब्राह्मणों के प्रति घृणा फैलाने और समाज को बांटने के लिए ब्राह्मण चरित्र को विलेन के रूप में दिखाकर किया गया एक कुंठित प्रयास हैं। जबकि इस घटना का आरोपी पिछड़े समुदाय का अपराधी था न की कोई ब्राह्मण ?? जैसा की फिल्म में दिखाया गया हैं!!! निर्माता निर्देशक आयुष्मान खुराना ने इस फिल्म में घटना के आरोपियों को ब्राह्मण दिखाया है। साथ ही आरोपी को एक हिन्दू मठ के संत का बिगड़ा दबंग लड़का दिखाया है। यही नहीं जांच टीम के पुलिस पदाधिकारियों का चरित्र हनन और जातिगत नफरत वाले डायलॉग बोलते दिखाया गया हैं।
त्रिपाठी ने कहा कि फिल्म में एक पक्ष के लोगों को भगवा झंडे के साथ तो दूसरे पक्ष को नीले झंडे के साथ दिखाना हिंदुत्व के खिलाफ साजिसन षड्यंत्र के तहत नफरत फ़ैलाने की कुत्सित साजिश है। इसके आलावा फिल्म में बार-बार तथाकथित संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है। फिल्म का शीर्षक भी प्रश्न के दायरे में हैं क्योंकि ये संविधान की आर्टिकल के नाम पर है जो दूसरों की भावनाएं आहत करने वाला है। त्रिपाठी ने कहा कि फिल्म की आड़ में ब्राह्मणों और दलितों के बीच खाई पैदा करने की कोशिश की जा रही है जिसे हर हाल में रोका जाना चाहिए।
फिल्में हमारे समाज का सबसे सशक्त माध्यम हैं। इनसे करोड़ों युवा आकर्षित और प्रभावित होते हैं। ऐसे में इसके माध्यम से देश को आगे बढ़ाने की बात होनी चाहिए, न कि इसके जरिये जातिवादी घृणा को फैलाने की कोशिश करनी चाहिए जो कि अब समाज से तेजी से खत्म हो रहा है।
अतः सरकार तत्काल इस फिल्म पर रोक लगाए।

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