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झारखंड में रहनेवाले सबर जाति के लोग अपने मौलिक अधिकार से वंचित हैं : मनोज मिश्रा


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जमशेदपुर । झारखण्ड मे रहने वाले सबर जनजाति अपने मौलिक अधिकार से वंचित है। वे अपनी मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रहे है। उक्त बातें झारखण्ड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने पूर्वी सिंहभूम स्थित बड़ाबांकी पंचायत अंतर्गत बड़ाबांकी ग्राम मे सबर बस्ती के दौरे के बाद कहीं। मनोज मिश्रा अपनी पांच सदस्यीय टीम के साथ क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। उन्होने बताया कि मामले की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार नई दिल्ली सहित, केंद्रीय जन जाति आयोग एवं जनजाति कल्याण मन्त्रालय, मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन एवं झारखण्ड के राज्यपाल को ज्ञापन पुरे मामले की जाँच करते हुए पीड़ितों को अविलम्ब न्याय दिलाने की मांग की है। दौरे के क्रम मे टीम ने सबर परिवारों से मिल कर उनकी समस्या की जानकारी ली। दौरे के क्रम मे सबर वर्ग से जुड़े बच्चों मे कुपोषण एवं महिलाओं मे एनीमिया के लक्षण दिखाई दिए। पूछने पर दो बच्चों की माता संध्या रानी सबर ने बताया कि सरकर द्वारा प्राप्त चावल ही हमारा और हमारे बच्चों का तीनो समय का भोजन है। पौस्टिक भोजन किसे कहते है, इसकी जानकारी उसे नही है। बच्चो को दूध नही दे पाते। दौरे के क्रम मे तीन तीन सबर बच्चियों को अनाथ अवस्था मे पाया गया। ग्रामीणों ने बताया कि इनके माता पिता नही रहे, जिन्हे दूसरे रिस्तेदार सहयोग कर रहे है। जिनमे आरती सबर 12 वर्ष, लक्ष्मी सबर 11 वर्ष एवं फूली सबर 8 वर्ष है। जिनके सामने भविष्य अंधकारमय है। क्षेत्र मे दौरे के क्रम मे पाया गया कि बड़ाबांकी के लोग पानी की समस्या से ग्रसित है, अधिकांश चापाकल एवं सोलर जल मिनार या तो खराब हो गए है या दबंगो ने उसपर कब्ज़ा करके अपने घर मे ले लिया है। दौरे के क्रम मे सबर बस्ती मे मिट्टी के घरों मे बिजली तो पायी गयी पर एक बल्ब घरों के बाहर लगा पाया गया। घरों के अंदर घोर अंधकार पाया गया क्षेत्र मे स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र मे सरकारी व्यवस्था उदासीन पायी गयी। दौरे मे संगठन के पांच सदस्यों मे दौरा किया जिनमे मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, ऋषि गुप्ता, अनिमा दास एवं सुभश्री दत्ता मौजूद थी।

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