तिलक कुमार वर्मा
गुवा शहीद दिवस के अवसर पर शहीद वेदी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के उपरांत पूर्व इंटक जिला अध्यक्ष सह पूर्व प्रत्याशी सदर चाईबासा श्री बिमल सुम्बुरुई, हिटलर ने कहा ..37 वर्ष पूर्व हुए गुवा गोली कांड की याद आज भी सिहरन पैदा कर देती हैं, बहुत ही दुःखद घटना ,ये रक्तपात तत्कालीन बिहार सरकार चाहती तो रुक सकती थीं,मगर आदिवासियों के प्रति घृणा ने गुवा गोली काण्ड को स्थानीय खनन कंपनियों व माफियों के इशारे पर अंजाम दिया गया था, शोषण तब भी था और अब भी हैं, पहले गोली के बल पर खनिज संपदा को लूटने का प्रयास था, आज क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को खरीद कर बददस्तूर लूट को जारी रखा गया है, यहीं कारण है, आज यहाँ जनप्रतिनिधि अमीर हैं और मजदूरों के हक में लड़ने वाले शहीदों के परिजन व मजदूर गरीबी, बेबसी व मुफलिसी में जीने को मजबूर हैं, उन्होंने आगे कहा, पूरे खनन क्षेत्र में मजदूरों की लड़ने वाला कोई नहीं हैं, यहाँ सप्लाई मजदूर बनने के लिए भी भूमि पुत्रों से 50 से 60 हज़ार रुपये घूस लिए जाने का मैंने विरोध किया तो यहाँ के जनप्रतिनिधियों ने अपने बिहारी आकाओं से मिल कर हमें गुवा, किरीबुरू, नोवामुंडी, बराएबुरु, झंडीबुरु, करम्पदा इत्यादि के मजदूरों व आदिवासियों, मूलवासियों की लड़ाई लड़ने से वंचित करने के लिए मुझें मजदूर संगठन से भी हटवा दिया.हमनें फिर भी हार नहीं मानी ,नोवामुंडी बोकारों साइडिंग से वर्ष 2010-2012 के बीच 7000मैट्रिक टन लौह अयस्क चोरी का मामला उठाया ,जो अभी भी जाँच के दायरे में है. उक्त लौह अयस्क चोरी से लगभग 1500 करोड़ रुपये सरकारी राजस्व का नुकसान हुआ है, अगर यहाँ के जनप्रतिनिधि सजग रहते तो क्षेत्र के हर आदिवासी, मुलवासी परिवार को 20 –20 लाख रुपये मिल सकते थे.. हिटलर सुम्बुरुरुई ने कहा मेरा प्रयास रहेगा क्षेत्र के मजदूरों, आदिवासी, मुलवासी को खनन क्षेत्र में रोजगार की गारंटी व हक मिले.उन्होंने आगे कहा मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन जी ने शहीद परिवार के सदस्यों को नौकरी देने का वादा
किया था, वो पूरा किया जाना चाहिए, सभी शहीद के परिजन स्थायी को नौकरी मिलनी चाहिए, बच्चों को मुफ्त शिक्षा,व स्वास्थ्य, पेयजल सुविधाएं मुहैया कराने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
बिमल सुम्बुरुई, हिटलर ने अंत में कहा झारखण्ड के आदिवासी जनप्रतिनिधियों को बिहारी दलालों से सजग व सावधान रहने की आवश्यकता है, क्यों की पूर्व के हमारे अनुभव बहुत बुरे रहें है, किसी आदिवासी नेता को जेल भिजवा दिया गया तो किसी दबंग आदिवासी नेताओं की बेनाम संपत्तियों को बिहारी दलालों ने हड़प लिया और आदिवासी नेताओं के परिजनों को भी फूटी कौड़ी नहीं दे कर सड़क पर ला दिया.इस मौके पर मो0 सलाम नवाब,विनोद सेवैयाँ, रामसिंह सेवैयाँ, मो0 अब्दुल ख़ालिख, मो0 शमीम बबलू, बिस्तु नंदी,संजय गुप्ता भोले,विजय गुप्ता मुख्य रूप से गुआ शहीद स्थल पर उपस्थित हुए।व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किये।