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पहलवानों ने गंगा में नहीं बहाए मेडल, नरेश टिकैट के समझाने पर बदल दिया फैसला, अब लौट रहे दिल्ली 

राजेश कुमार झा
नई दिल्ली । बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवानों ने हरिद्वार में गंगा में अपने मेडल नहीं बहाए। उन्होंने किसान नेता नरेश टिकैट को मेडल सौंप दिए। पहलवान वापस दिल्ली आ रहे हैं।पहलवानों ने कहा था कि वो आज शाम 6 बजे गंगा में अपने मेडल बहाएंगे। पहलवान शाम होते-होते हरिद्वार पहुंच गए। दीपेंद्र हुड्डा और अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने पहलवानों से मेडल न बहाने की अपील की थी। किसान नेता पहलवानों को समझाने के लिए हरिद्वार भी पहुंचे।नरेश टिकैट ने मांगा 5 दिन का समय
किसान नेता नरेश टिकैत ने हरिद्वार पहुंचकर पहलवानों से मेडल न बहाने की अपील की। उन्होंने कहा पहलवानों से मेडल लिए और पांच दिन का समय मांगा। नरेश टिकैत के समझाने के बाद पहलवानों ने अपने मेडल उनको सौप दिए और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। नरेश टिकैट के भाई राकेश टिकैट ने भी पहलवानों से गंगा में मेडल न बहाने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के मेडल देश का अभिमान हैं, इसे गंगा में न बहाएं। इन्हें राष्ट्रपति को सौंप दें।राकेश टिकैट ने मेडल न बहाने की अपील की थी
राकेश टिकैट ने ट्वीट करते हुए कहा, यह मेडल देश और तिरंगे की शान है हमारा सभी पहलवानों से अनुरोध है कि ऐसा कदम मत उठाओ। आपने अपने खेल से देश का सिर गर्व से ऊंचा किया है हमारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी से अनुरोध है कि मामले को संज्ञान में लेकर पहलवानों से जल्द बातचीत करें।’ एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बालियान खाप के प्रधान,चौधरी नरेश टिकैत जी व अन्य खापों के प्रधान पहलवानों से मिलने के लिए हरिद्वार जल्दी पहुंच रहे हैं आप सभी पहलवानों से अनुरोध है कि गलत कदम मत उठाओ।’

पूरे देश की आंखों में आंसू हैं- केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट करके पहलवानों से मेडल न बहाने की अपील की। उन्होंने कहा ‘पूरा देश स्तब्ध है। पूरे देश की आंखों में आंसू हैं। अब तो प्रधान मंत्री जी को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिये।’

‘मेडल देश की धरोहर’
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी पहलवानों से मेडल न बहाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘कोई भी खिलाड़ी अपने मेडल से बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है। ये मेडल आसानी से नहीं मिलते। इसके लिए वर्षों मेहनत करनी पड़ती है। जब सारा आलम सुख से सोता है तब खिलाड़ी मेडल के लिये स्टेडियम में पसीना बहा रहे होते हैं। ये मेडल उन क्षणों की याद दिलाते हैं जब इन्हें जीतने पर राष्ट्रगान गाया जाता है और तिरंगा फहराया जाता है। ये मेडल खिलाड़ियों का प्राण हैं और इनका त्याग प्राण त्यागने जैसा ही है। खिलाड़ी कितने दुखी होंगे कि उन्होंने इतना कठोर फैसला लिया है। मेरी खिलाड़ियों से प्रार्थना है कि ये मेडल देश की धरोहर हैं। आपने मेहनत करके देश के लिये जीते हैं। इनको गंगा में न बहायें।’

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