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चाईबासा। कांग्रेस सांसद सह कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा ने संसद में झारखण्ड और संसदीय क्षेत्र सिंहभूम में कुपोषण के मुद्दा को उठाते हुए सरकार से पूछा कि देश में कुपोषण के क्षेत्र में झारखण्ड दुसरे नम्बर और मैं जिस क्षेत्र सिंहभूम से आती हूं वह देश के अतिकुपोषित जिलों में चौथे स्थान पर आता है। यहां कुपोषण की स्थिति भयावह है। क्या सरकार इसका अध्ययन करा रही है। अध्ययन इसलिए की धरातल पर पोषण आहार मिलता नहीं है, जिससे कुपोषण की संख्या और बढ़ते जा रहा है। इसे दूर करने के लिए सरकार क्या कर रही है। साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी सेविकाओं के मानदेय बढ़ाने और समेकित बाल विकास योजना के मुद्दा को भी उठाया तथा कहा कि वर्तमान में आंगनवाड़ी सेवीकाओं को जो मानदेय मिल रहा है वह नाकाफी है। मानदेय बढ़ोतरी की दिशा में सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
संसद में उनके सवालों का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इसका दायित्व प्रदेश सरकार पर डालते हुए कहा कि इस संदर्भ में प्रदेश सरकार जो व्यवस्था या योजना बनाकर भेजती है, उसे ही केन्द्र सरकार आगे बढ़ाते हुए पोषण के क्षेत्र में कार्य करती है। राज्य सरकार ने हमारे विभाग को जो रिपोर्ट भेजा है उसमें कहा गया है कि यहां कुपोषण को दुर करने के लिए पर्याप्त कार्य किया जा रहा है। जहां तक माननीय सदस्य गीता कोड़ा जी का कुपोषण के लिए जो आरोप है, उसके लिए राज्य सरकार की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कारवाई की जायेगी।
जहां तक आंगनवाड़ी सेवीकाओं के मानदेय बढ़ोतरी का सवाल है तो सरकार इस दिशा में गंभीरता से कार्य कर रही है।
दूसरी ओर श्रीमती ईरानी ने लिखित रूप में जवाब दिया की वर्तमान में आंगनवाड़ी सेवा स्कीम में 9.06 करोड़ लाभार्थियों को शामिल करते हुए देशभर में 7075 परियोजनाओं और 1389110 कार्यशील आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कार्यों को किर्यान्वित किया जा रहा है।
झारखण्ड सहित देश भर में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए बच्चों में पोषण के परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से सरकार ने कुपोषण की समस्या को उच्च प्रथमिकता दी है तथा अंब्रेला समेकित बाल विकास सेवा योजना के तहत प्रत्यक्ष लिखित परिणामों के रुप मे आंगनबाड़ी सेवा, किशोरी योजना और प्रधानमन्त्री मातृ वंदना योजना जैसी कई स्कीम चला रही हैं। आंगनबाड़ी सेवा स्कीम के तहत गरम पका भोजन, सुबह का नाश्ता और टेक होम राशन के रुप में पूरक पोषण भी प्रदान किया जा रहा है।
आठ मार्च ,2018 से शुरू किए गए पोषण अभियान का उद्देश्य तालमेल युक्त और परिणामोंनयुक्त दृष्टिकोण के माध्यम से चरणबद्ध तरीके से झारखण्ड समेत अन्य राज्यों में कुपोषण की समस्या को दूर करने का काम किया जा रहा है।
सरकार ने बजट 2021-22 मे घोषित पोषण 2.0 के तहत स्वास्थय, आरोग्यता, बीमारी एवं कुपोषण के प्रति प्रतिक्षण को बढ़ावा देनेवाली प्रथाओं पर बल देते हुए पोषण सामाग्री, वितरण, आउटरीच और परिणामों को शुद्ध कराने के उपाय किए जा रहे है।
राशन मे सुधार के लिए पोषण ट्रैकर नामक एक शुद्ध आईसीटी प्लेटफॉर्म के तहत पोषण की गुणवत्ता एवं जांच में सुधार, वितरण को शुद्ध करने तथा प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। सरकार ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि पूरक पोषण की गुणवत्ता खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 तथा इसके तहत विनियमो में निर्धारित मानकों के अनुरूप होनी चाहिए। राज्य के क्षेत्रों को कुपोषण और संबद्ध बीमारियों की रोकथाम के लिए आयुष की पद्धतियों के प्रयोग को बढ़ावा देने की भी सलाह दी गई है।
पोषण की प्रथाओं में परंपरागत ज्ञान का उपयोग करते हुए आहार विविधता के अंतर को पुरा करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिकाओं के विकास में मदद करने के लिए भी एक कार्यक्रम शुरू किया गया है।
पूरक पोषण के वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तथा पोषण के परिणामों की पता लगाने के लिए 13/01/2021 को सुव्यवस्थित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं साथ ही टिकाकरण का आभियान भी जारी है।
पोषण आभियान के तहत सामुदायिक जुटाव, स्वभाव परिवर्तन और जनांदोलन घटक ने देश के सबसे बड़े पोषण केंद्रित वार्षिक जनांदोलनों के माध्यम से जागरूकता लाने का कार्य किया है।