कल से शुरू होने जा रहा है नवरात्र, आइए जाने नवरात्र मे पुजे जाने वाली प्रथम देवी माँ शैलपुत्री के बारे मे
जमशेदपुर;प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस वर्ष 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना या कलश स्थापना करने का विधान है क्योंकि घट स्थापना के बाद ही मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर रविवार के दिन से हो रही है। ऐसे में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 21 मिनट से सुबह 10 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं, घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12:30 मिनट तक रहने वाला है।
मां शैलपुत्री से जुड़े रोचक तथ्य
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है. शैलपुत्री, संस्कृत में, दो शब्दों का मेल है- ‘शैल’ जिसका अर्थ है पर्वत और ‘पुत्री’ जिसका अर्थ है बेटी, वह हिमालय की बेटी हैं. मां शैलपुत्री के चित्रात्मक चित्रण में उनके दाहिने हाथ में एक त्रिशूल और उनके बाएं हाथ में कमल का फूल, माथे पर एक अर्धचंद्र के साथ दिखाया गया है. उन्हें नंदी बैल पर सवार दिखाया गया है.
मां शैलपुत्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त
सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद आटे से चौक बनाकर एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा तथा कलश की स्थापना करें. इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। चूंकि मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय हैं अत: उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाएं. जहां तक संभव हो भोग के लिए भी सफेद मिठाई का ही उपयोग करें. इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा का श्रवण करें.
मां शैलपुत्री के लिए भोग और मंत्र
नवरात्रि 2023 के पहले दिन हम देसी घी से बने प्रसाद का भोग लगा सकते हैं. जबकि मंत्र कुछ ऐसा है:
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मां शैलपुत्री आरती
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो
मां दुर्गा मंत्र
सर्व मंगला मंगल्ये, शिव सर्वार्थ साधिका
शरण्ये त्रयम्बके गौरी, नारायणी नमोस्तुते
सर्व स्वरूपे सर्वेशे, सर्व शक्ति समन्वयते
भये भ्यस्त्राही नो देवी, दुर्गे देवी नमोस्तुते
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचना त्रयभुषितम्
पातु नः सर्वभितिभ्यः कात्यायनि नमोस्तुते
ज्वाला करला मत्युग्राम शेषासुर सुदानम्
त्रिशूलं पातु नो भितर भद्रकाली नमोस्तुते
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थितः
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः