अंगदान को लेकर तमिलनाडु सरकार के प्रयासों को कुणाल षाडंगी ने सराहा
कहा - राजकीय सम्मान प्रेरित करेगा अंगदान के लिए, केंद्र सरकार से भी राष्ट्रव्यापी पहल का आग्रह
जमशेदपुर। अंगदान को लेकर तमिलनाडु सरकार का अभियान इन दिनों चर्चाओं में है। ऑर्गन डोनेट करने वालों को राजकीय सम्मान देने की स्टालिन सरकार की घोषणा ने भाजपा नेता कुणाल षाडंगी का भी ध्यान खींचा है। राजनीति से इतर व्यापक जनहित में झारखंड बीजेपी प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने इस पवित्र उद्देश्य को सराहा है। मंगलवार को इस आशय में ट्वीट करते हुए बीजेपी नेता ने तमिलनाडु सरकार के ऑर्गन डोनेशन को लेकर दृष्टिकोण को प्रशंसनीय बताया है। पूर्व विधायक सह भाजपा प्रवक्ता कुणाल राजनीति के अलावे अपनी एनजीओ नाम्या स्माईल फाउंडेशन के जरिये स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर लगातार प्रतिबद्ध रहते हैं। जमशेदपुर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अभावग्रस्त लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने की दिशा में विभिन्न निजी अस्पतालों का सहयोग लेकर विशेष शिविर आयोजित करते रहते हैं। हाल ही में एक बड़े अस्पताल प्रबंधन के सहयोग से जमशेदपुर में चिकित्सा कैंप आयोजित किया था जिसमें शहर के बड़ी तादाद में लोगों ने लाभ लिया था। उक्त बड़े अस्पताल को जमशेदपुर में अपनी इकाई स्थापित करने को लेकर कुणाल ने निमंत्रण भी दिया है। इधर कुणाल षाडंगी ने कहा की सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु सरकार के सीएम पुत्र के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए वे पहले ही तीव्र भ्रतस्ना कर चुके हैं। कुणाल ने कहा की गलत का विरोध और अच्छे प्रयासों की सराहना ही असल राजनीति है। बीजेपी प्रवक्ता ने अपने ट्वीट में बताया की अंगदान को लेकर तमिलनाडु सरकार देशभर में अव्वल है इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं, किंतु राजकीय सम्मान देने का निर्णय वाकई अभिनंदनीय है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को इस बाबत अनुरोध किया है की नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइज़ेशन के मार्फ़त इस अभियान को देशभर में लागू कराया जा सकता है जिससे बड़ी तादाद में पीड़ित मरीजों को लाभ मिलेगा। वहीं झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से आग्रह किया की चूंकि झारखंड अंगदान करने के मामले में सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है, ऐसे में बिना देर किये इस अभियान को यहाँ शुरू करने की पहल की जानी चाहिए। ऑर्गन डोनेट करने वालों के अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान देने से अन्य लोगों में जागरूकता आयेगी और लोग स्वप्रेरणा से इस दिशा में कदम आगे बढ़ाएंगे।