निमाड़ अंचल के महान संत सियाराम बाबा
अंश्रपूरित श्रंद्धाजलि
कर्म भूमि छोड़ गए इस जग को,
प्रभु धाम में चले गए?
पुण्य किए धरा पर हरि धाम मिले!
मां नर्मदा पर ही साधन,
प्रभु को योग से जोड़ लिया!
वंश में किया देह को आत्म तत्व को साध लिया,
राम भक्ति वृत को जीवन में ठान लिया,
ज्ञान वैराग्य का समर्पण कर,
सत्य कृपा को पा लिया!
कठिन तपस्या की हिमगिरी जाकर,
पंच तत्वों को अपने अधीन किया!
प्यार से पिलाते चाय सभी को,
प्रेम भाव से सभी को प्रसाद दिया!
एक ही मंत्र मुख वाणी से सियाराम का,
जग की विषय वासना से दूर था!
बारह मास रहै मोन वृत धारण करके,
कभी न बेठे विश्रांति को!
निकला शब्द प्रथम वाणी से सियाराम का,
सभी के मुख से मुखरित स्वर सियाराम के! नाम दिया राम भक्तों ने मिलकर, शुभ नाम सियाराम पड़ा! संत हृदय से सियाराम कहलाए,
दर्शन से ही राम भक्तों को परम विश्राम मिला!
जो भी आया द्वारे पर बाबा के,
सभी मनोकामना पूरी हो जाती! धन्य धरा हुई खरगोन की,
धरा बनी सियाराम की!
(गोविन्द सूचिक अदनासा जिला -हरदा)