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नारी सशक्तिकरण की मिसाल है प्रगति आनंद : अंकिता सिन्हा


नारियां सृष्टि आधार होती हैं इनके बिना पुरूषों का अस्तित्व शुन्य हैं। महिला दिवस सिर्फ इक दिन का दिवस नही संस्कृति सभ्यता पंरपराओं में महिलाओं के लिए सृजन आधार की परिभाषा से सुशोभितत किया गया। यहां नारीयां सबल हैं और अन्याय के प्रति अपने अधिकारों के प्रति सजग भी, बस अपने मन की शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है। ऐसा ही उदाहरण बिहार में आयोजित नारी शक्ति प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष नालंदा की प्रगति आंनद के नेतृत्व में किया गया आयोजन में पाया गया। बिहार बुद्धिजीवियों की धरा, जहां ज्ञान की गंगा बहती, जहां देश के कोने कोने में सरकारी उच्चतम पदों पर पदस्थापित बिहारवासियों के पदचाप हैं। अपने पावन धरा पर आकर एवं सम्मान की पराकाष्ठा प्रगति आंनद के परिश्रमी रंग को दर्शाता हैं। नारियों के सम्मान मे आंनद निरंतरता से कार्य करती हैं। वो एक उच्च श्रेणी की शिक्षका के साथ अपने पारिवारिक समाजिक राजनीति एवं साहित्यिक गतिविधियों को निष्ठावान हो निभाती हैं, जहां समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका नारीत्व की हैं। यह उदाहरण प्रगति आंनद के जीवनशैली में देखने को मिला। मैं शुभकामनाएं प्रेसित करती हूँ आप सबकी आवाज़ (राष्ट्रीय पार्टी ) की जिलाध्यक्ष प्रगति आंनद को एवं समस्त महिलाओं को जो इनके एक आह्वान पर इनके साथ हजारों की संख्या में कदम से कदम मिलाकर चलने हेतु तैयार हैं।

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