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प्राकृतिक उपासना का बड़ा पर्व है बाहा बोंगा : महाबीर मुर्मू


जमशेदपुर प्रखण्ड अंतर्गत किताडीह गाँव में फागुन माह के पांचवे दिन बाहा बोंगा (पुजा) नायके (पुजारी) महाबीर मुर्मू देवी, देवताओ मारंग बुरु, जाहेर आयो, ग्राम देवता, मोड़, तुरुई की पुजा अर्चना कर समस्त ग्रामवासियों झारखंड वासियों के लिये सुख समृद्धि का कामना किये।
नायके बाबा महाबीर मुर्मू ने कहा बाहा पर्व आदिवासी संथाल समाज का महत्वपूर्ण पूजा है यह प्रकृति उपासना का पर्व है प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिये बाहा बोंगा किया जाता है।
एवम नये साल और महुआ का फुल फल हमे जो प्रकृति से मिलती है उसे पहेले देवी देवताओं को अर्पित कर उस के बाद ही समाज लोग ग्रहण करते हैं।
इस के बाद ही शादी विवाह का दौर शुरू हो जाता है।
पूजा के पश्चात सभी ने सोड़े(प्रसाद) ग्रहण किया।
शाम में गाँव की महिलाएं जाहेर थान आ कर देवी देवताओं के समक्ष नतमस्तक होकर नायके बाबा से साल फुल ग्रहण कर आपने जुड़े में सजाये और पुरुष आपने कान में लगाएं।
उस के बाद महिला पुरुष नचाते गाते नायके बाबा को घर पहुँचा दिया गया,
उसके बाद रात भर आखड़ा सामुहिक बाहा नृत्य किया गया।
मुख्य रूप से बंगाल माझी,nकिशुन मुर्मू,बिंदु सोरेन, खेलाराम मुर्मू चुनूं हेम्ब्रम, विकास मुर्मू, संजीव हेम्ब्रम, सुदम मुर्मू, गुरबा हांसदा,nहेमंत सोरेन, अंशु माझी, डोमन हांसदा, किशुन सोरेन रामराय सोरेन, राजाराम मुर्मू, जादू मुर्मू,बरसा बास्के
आदि उपस्थित थे।

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