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सेंगेल का सरना एकता प्रयास

आदिवासी अस्तित्व और हिस्सेदारी को बचाने के लिए सरना धर्म कोड की मान्यता हर हाल में जरूरी : सालखन मुर्म

जमशेदपुर। आदिवासी अस्तित्व, पहचान और हिस्सेदारी को बचाने के लिए प्रकृति पूजा धर्म – “सरना धर्म कोड” को हर हाल में मान्यता दिलाना भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए करो या मरो की तर्ज पर एक महायुद्ध की तरह है। इसके लिए निष्ठा और समर्पण भाव के साथ सभी सरना धर्मावलंबियों को एकजुट होकर ईमानदारी के साथ योगदान करना जरूरी है। समय कम है मंजिल कठिन है। मगर सब के सहयोग से यह बिल्कुल संभव है। राची शहर के डीबडीह के सरना भवन में शनिवार 3 दिसंबर 2022 को सभी सरना धर्म कोड चाहने वाले नेता और संगठनों को आमंत्रित किया गया है। दिन के 11:00 बजे से एक विशेष एकता बैठक का आयोजन है। सरना प्रार्थना सभा के नेतागण संजय कुजूर के नेतृत्व में इसकी तैयारी कर रहे हैं। अतः सभी का इस बैठक में स्वागत है।

आदिवासी सेंगेल अभियान मतांतरण के खिलाफ है और मतांतरित लोगों को अविलंब एसटी सूची से अलग किये जाने का पक्षधर है। दूसरी तरफ सेंगेल इस भ्रमक प्रचार का भी खंडन करता है कि सरना धर्म कोड की मांग और आंदोलन के पीछे किसी बाहरी तत्व या ईसाई मिशनरियों का हाथ है। विदेशी धर्म, भाषा- संस्कृति आदि निश्चित आदिवासियों के युग युग से चली आ रही प्रकृति पूजा धर्म,भाषा- संस्कृति, सोच- संस्कार और जीवन मूल्यों को बर्बाद करते हैं। अतः नकली आदिवासियों से इसे बचाना हम असली आदिवासियों का कर्तव्य है। अतएव कोई भी बाहरी धर्म,भाषा संस्कृति के अतिक्रमण का हम विरोध करते हैं।

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