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सावन की चौथी सोमवारी को बुढ़वा महादेव में लगी भक्तो की भीड़;हजारीबाग

Hazaribaag budwa mahadev

कुलदीप चौधरी हजारीबाग:बड़कागांव पूर्वी पंचायत के पहाड़ों पर स्थित है। बुढ़वा महादेव जो लगभग सौ वर्ष से भी पुराना है। दुर्गम पहाड़ी मार्ग से गुजरने के बाद जब यहां पहुंचेंगे तो बड़ी शांति मिलेगी। हृदय भक्ति विभोर हो उठेगा। यह मंदिर बुढ़वा महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। लोगों ऐसा मानते है की यहां सच्चे मन से मागी गई मुरादें पूरी होती है। यहां जो शिव लिंग है वह स्वत: निकली है। मंदिर के पुजारी स्व. जयलाल पाण्डेय के बाद उनके पुत्र बद्रीनाथ पाण्डेय और अब उनके पौत्र शैलेश पाण्डेय यहां पूजा पाठ की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। शैलेश सहित उनके यजमान अवधेश कुमार वर्मा, उनकी पत्नी नीलम देवी आदि ने बताया कि यहां के राजा ने अपने जमाने में यहां अपना विवाह रचाया था। उस जमाने के विवाह मण्डप आदि आज भी हैं। जहां हर शिवरात्रि में भगवान शिव के विवाह की रस्म पूरी की जाती है। बताया यह भी जात है कि हर शिवरात्रि पर यहां से भगवान शिव के अनुरागी भक्तजन बाकायदा बारात निकालते हैं। जिसमें बड़कागांव हजारों लोग शामिल होते हैं। काफी रौनक होती है। मेला लगता है। लेकिन इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण मेला नही लगेगा। सौ वर्षो में यहां उतना विकास नहीं हुआ जितना कि आपेक्षित था। लेकिन अब यहां मंदिर निर्माण के लिये काम कर रहे हैं। शिवजी की मंदिर के अतिरिक्त यहां एक महावीर हनुमान मंदिर और मां पार्वती मंदिर है। बड़कागांव बाजार से पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक जाने के पक्की सड़क भी अब बन गयी हैं

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