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सभी विद्यालयों को 50-50 प्रतिशत के आधार पर विद्यालय की सभी कक्षाएं खोलने की अनुमति दी जाए अन्यथा 16 जनवरी, 2022 से कोई भी निजी विद्यालय ऑनलाइन कक्षाएं नहीं लेंगे ।


जमशेदपुर; सोमवार की शाम मानगो स्थित साउथ प्वाइंट विद्यालय में झारखण्ड गैर सरकारी विद्यालय संघ की एक बैठक प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद ताहिर हुसैन की अध्यक्षता में आयोजित हुई जिसमें कोविड -19 एवं झारखंड सरकार के आदेशों की समीक्षा की गई। सर्वसम्मति से यह बात उभर कर सामने आई कि यह बात सही है कि देश में कोविड-19 की लहर चल रही है लेकिन प्रत्येक आपदा में विद्यालयों को ही सर्वप्रथम निशाना बनाया जाता है। इस वैश्विक बीमारी कोविड-19 में भी ऐसा ही हुआ सारे चीज चाहे वह दुकान हो, बाजार हो , मॉल हो , शराब की दुकान हो सभी खुले हुए हैं और अगर प्रतिबंधित भी किया जा रहा है तो 50- 50% के आधार पर उन्हें खोलने का मौका दिया जाता है, लेकिन सरकार के लिए सबसे बेकार की संस्था निजी विद्यालय है जोकि चले ना चले, चाहे उसके शिक्षक भूखे मर जाएं, उनके बाल बच्चे तबाह हो जाएं, लेकिन सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है। जबकि सर्वविदित है कि झारखंड ही नहीं पूरे देश में निजी विद्यालयों के बलबूते देश की शिक्षा व्यवस्था विशेषकर झारखण्ड की तो चल ही रही है लेकिन विडंबना देखिए इस सरकार का थोड़ा भी ध्यान निजी विद्यालयों के प्रति नहीं है।हाल के सरकार के फैसले पर बारीकी से ध्यान दिया जाए तो ऐसा लगेगा कि सरकार का निर्णय शिक्षा के प्रति अजीबोगरीब है जैसे राष्ट्र के राष्ट्रीय त्योहार के झंडोत्तोलन में बच्चे शामिल नहीं होंगे लेकिन क्लास करेंगे यानी कक्षा में कोरोना नहीं होगा, नहीं पकड़ेगा और झंडोत्तोलन कार्यक्रम में जो कि ओपन ग्राउंड में होता है वहां करोना हो जाएगा । राज्य में आंगनबाड़ी आज के डेट में भी चल रहे हैं, वहां पर निजी विद्यालयों को बंद किया जा रहा है यानी कोविड-19 आंगनबाड़ी में प्रवेश नहीं करेगा, वहां के बच्चे सुरक्षित रहेंगे लेकिन निजी विद्यालयों के बच्चे करोना ग्रसित हो जाएंगे। वाह रे सरकार।
अतः सर्वसम्मति से सभी विद्यालय प्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया है कि यदि सरकार 50-50 क्षमता के अनुपात में आगामी 16 जनवरी से विद्यालय खोलने की अनुमति नहीं देती है तो सारे झारखण्ड के निजी विद्यालय 16 तारीख से ऑनलाइन कक्षाएं बंद कर देंगे क्योंकि हम कोल्हू के बैल नहीं हैं,कोल्हू के बैल को भी दाना और पानी दिया जाता है। इसलिए सरकार नीति संगत निर्णय लें हमें भी केजी से लेकर 12th के छात्र छात्राओं को ODD — EVEN के आधार पर संचालन करने दें, अन्यथा 16 जनवरी से सारे निजी विद्यालय स्ट्राइक पर जा रहे हैं, और चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी करेंगे अगर किसी तरह की अनहोनी होती है अगर कोई शिक्षक आत्मदाह करते हैं तो इसकी सारी जिम्मेवारी राज्य सरकार पर होगी।
यह भी निर्णय लिया गया कि सरकार कोरोना काल में विद्यालयों के बंद रहने की अवधि का शिक्षकों के वेतन मद के लिए कम से कम ₹5000 प्रति शिक्षक प्रतिमाह कि दर से भुगतान करे, इस मांग के लिए झारखंड गैर सरकारी विद्यालय संघ का एक प्रतिनिधि मंडल राज्य के शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन के रूप में अपनी मांग रखेगा एवं मांग पूरी नहीं होने की स्थिति में दिनांक 13 जनवरी 2022 को पुनः 11:00 बजे दिन में पोस्ट ऑफिस रोड मानगो स्थित साउथ प्वाइंट स्कूल में एक बैठक रखकर आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लेगा। इस बैठक में मुख्य रूप से संघ के उपाध्यक्ष शिव प्रकाश शर्मा ,सचिव मिथिलेश प्रसाद श्रीवास्तव ,सह सचिव उदय शंकर पाठक सहित जिले के सैकड़ों की संख्या में विद्यालयों के प्रतिनिधि मुख्य रूप से अर्जुन शर्मा, शिवम शर्मा ,जावेद, समदानी, जैन, साहिद, आफताब, डी. के ठाकुर, पी. के. बोस, कमाल, मुसर्रत आदि उपस्थित थे.

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